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पता नहीं कौन सी खता की सज़ा मिला हैं
ये ज़िन्दगी मेरी जैसे बोझ सा लगने लगा
नहीं दिखता अब कोई दूर दूर तक अपना
कुछ इस तरफ हर अपने होगए खफा हैं
कोई फरेबी, कोई दगाबाज तों कोई बेवफा कहा
अपनों के महफ़िल मे ही इतना नाम मिला हैं
लगने लगी बोझ जैसे पलकें भी आँखों पे मेरी
कुछ इस तरह ज़िन्दगी भी हमसे खफा हैं
कभी चोट खाई दिल पे तों कभी खंजर सीने पे
किस किस का नाम लु हर एक से जख्म मिला हैं
कोई जगह नहीं बचा दिल के दुनिया मे राहत की
कुछ इस तरह हर एक से जख्म-ए -दाग़ मिला हैं
जानती हूँ हर एक मोड़ पर तन्हा रहूँगी मैं
ख़ुश रहे वो जिनको इश्क़ मे मंजिल मिला हैं
अपना तों अब कोई अस्तित्व ही ना रहा हो जैसे
कुछ इस तरह अपनों ने ही मेरे नाम मिटाया हैं
जिस दिल से भी गुज़रा, उसे जिन्दा मार गया
जाने किसने इस जहाँ मे ये मोहब्बत बनाया हैं
पल पल मर कर जिना जैसे लाश हो ज़िन्दगी
कुछ इस तरह नैना इस मोहब्बत ने मुझे तोड़ा हैं….!!
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नैना….✍️✍️💔💔
काल्पनिक…