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ए ज़िन्दगी क्या शिकवा करू तुमसे
तू भी तो मेरी तरह अधूरा निकला
अरसे से सजायी ख्वाब आँखों ने
सुबह होते ही हर ख्वाब अधूरा निकला
होठों पर आकर रुक गयीं वो बात अधूरा
खैरात मे मिला हो जैसे हर साथ अधूरा
कुछ नहीं बस कुछ दूर तक साथ चलने की ख्वाहिश
मंज़िल जिसको मिला वो भी एक वहम निकला
ए दिल क्या गिला करगा अब और किससे
जो रह गयीं अहसास धड़कनो मे किसीका अधूरा
जिसके चाहत मे तुमने मुझे भी भूल गया था
वो फरेब चहरे का चाहत भी अधूरा निकला
कहते है खुदा ने बनाया है इस मोहब्बत की दुनिया
फिर क्यूँ रह जाते है हर दुआ इश्क़ मे अधूरा
तड़प के रह जाते आशिक़ किसी एक के मोहब्बत मे
कहाँ किसी को अब तक मुक़्क़मल जहाँ मिला..?
ए रब मेरे हर कोई तुम्हे दिल से सजदा करता है
फिर क्यूँ रहने देता है तू कोई दिल के अरदास अधूरा
जिस ढ़ाई अक्षर प्रेम मे बांधा तुमने इस संसार को
वो भी तो नैना पूरा नहीं प्रेम खुद मे ही अधूरा निकला…!!
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नैना… ✍️✍️
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