भ्रष्टाचार का दानव हर
जगह पैर पसार रहा
नैतिकता और सच्चाई को
दीमक की तरह खा रहा
कोई दफ्तर हो या ऑफिस
ऐसा कोई भी बचा नहीं
जहाँ दस्तक न दी हो इसने
इस दानव का पैर जमा नहीं
बिना दक्षिणा दिये फाइल बढ़ जाये
ऐसा तो कभी हुआ नहीं
बढ़ ही रहा सुरसा की तरह ये
बाल भी बाँका इसका हुआ नहीं
इस सुरसा रूपी दानव का क्या
कभी अंत हो पायेगा?
नैतिकता, सत्य के रवि का
क्या  कभी उदय हो पायेगा?
हर मानव को अपने अंदर
बैठा राम जगाना होगा
नैतिकता और सत्य के शस्त्र से
इस दानव को मारना होगा
इस भ्रष्टाचार के दानव से
जब देश हमारा मुक्त होगा
फल मिलेगा ईमानदारी का
देश प्रगति पथ पर अग्रसर होगा।।
आशा झा सखी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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