#रश्मिरथी साप्ताहिक प्रतियोगिता के लिए

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होगई है इस दुनिया की हालत कुछ ऐसे जैसे

“हाथी के दाँत” खाने की और और दिखाने की और मुहावरें जैसे

किसपे करे यकीं हम ए दोस्तों,पल में बदल जाते लोग वक़्त जैसे,

ना कदर अपनों का रहा किसीको,न परवाह सच्चे रिश्तो की है

मुकर जाते अपने वादों से लोगऐसे ,

बदल जाते है अक्सर देश की तख़्त जैसे,

किसी को भी सहारा बनाना है मुश्किल,

न अपने, बेगाने या फिर नेता हो देश के

सब पहने है नकाब कयी चहरे पर,

बोलते है जुबाँ पे कुछ, दिल में कुछ और जैसे,

दौलत और चीज़ो से मन नहीं भरता,तो चुके नहीं सौदा रिश्तों के भी करने से

लगाने पर पहरा हुए मजबूर दिल सबके,बन गया हो प्रेम के नियम कोई जैसे,

इसलिए अब फैसला खुद से कीजिए,

ज़िन्दगी कटे या बिते खुशियों में आपके

रास्ते भी खुद ढूंढना और चलकर मंज़िल तक जाना

ये हम पर है राह फूलो की चुनते या,

मुश्किले और काँटे भरी राहें नसीब हो जैसे,

हम बिखरते तो दोष दुनिया की नहीं होती

क्योकि हमें पहचान नहीं होता अच्छे और बुरे में

पता नहीं चलता गलती का की कब होगया ख़ता जाने कब और कैसे।।

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Naina✍️✍️

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