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मिलता है साथ ज़ब किसीका
तबसे ज़िन्दगी मे उदास रहना भूल गए
रहने लगे दिल मे जबसे महबूब के अपने
तबसे धड़कने अपना ठिकाना भूल गए
जाने क्या जादू है ये मोहब्बत भी इस जहाँ मे
की जिनको भी हुआ शिद्दत से
वो इश्क़ मे अपना पहचान तक भूल गए…!!
क्या खूब सिलसिला है रातो को जागे रहना
कोई मलाल नहीं रहता जो दिन की बेचैनी भी तड़पाती है
किस्सा तब शुरू हुआ ज़माने मे
जबसे दीवाने इश्क़ के बिना जिना भूल गए
मिले जो दर्द भी तो हँस कर सहा करते है दिल पे
उफ्फ तक नहीं निकलते जुबाँ से महफिल मे
जैसे अपनों से भी हाल -ए-दिल बयां करना भूल गए…!!
ज़ब तक साथ रहता है साथ महबूब का
ये मोहब्बत नाम के प्यार भरे सफऱ मे
तब तक फूलो व काँटों मे फर्क करना भी
मुसाफिर मोहब्बत मे भूल गए
बहुत देखे है हमने इस ज़ालिम दुनिया मे
इस खूबसूरत इश्क़ के मारो को हमने
जो भी चला इस इश्क़ के राह मे
वो ज़िन्दगी जीने की तरीका ही भूल गए…!!
कितना अजीब होता है न ये अहसास भी
जिससे मिलता है वो बेगाने होते है
जैसे कोई मिला कुछ पल मे
और जाने किस दुनिया के भीड़ मे खो गए
रह जाता है निंशा कदमो की
इस दिल के भीगे ज़मीं पर अक्सर
जो कभी आए ज़िन्दगी मे मेहमान बनके
अपने साथ कदमो की निशां लेजाना भूल गए…!!
बहा लेजाता है ये जख्म की आंधीयाँ
किस हद तक हमें बस देखना है
क्या हुआ जो जाने वाले हमारे महफिल से
हमें मुड़कर देखना तक भूल गए
जबसे घेरा है इन दर्द की तूफान इस दिल को
रूठ गए हर ख्वाब आँखों से
वादों से मजबूर नैना खुल कर रोना भूल गए
ऐसा भी नहीं की ज़िन्दगी कटे सुकून से
क्या होता है हँसना हम तो मुस्कुराना तक भूल गए…!!
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नैना… ✍️✍️
काल्पनिक….
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