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पता नहीं क्यूँ इश्क़ मे ही ऐसा होता हैं
मोहब्बत मे जीने वाले ही तन्हा होते हैं
कोई समझता नहीं क्यूँ इस दर्द की तड़प को
हर कोई जैसे जख्म को कुरेदने वाले होते हैं
आँखों से बहते आँसू कोई पोछता नहीं हैं
जो भी मिलता हैं जख्म पर हँसने वाले ही होते हैं
चाह कर भी जान नहीं जाती सीने से हमारी
जुदाई मे इस तरह जिना भी मज़बूरी होते हैं
किसे सुनाये हाले दिल अपनी इस बर्बादी का
सुना हैं अपनों से बयां करने मे दर्द कम होते हैं
दिखता नहीं दूर दूर तक कारवां अपनों का भी मेरे लिए
इश्क़ मे खुदा से की हर दुआ भी बेअसर होते हैं
क्या होती हैं तड़प इस एक तरफा प्यार की
जो महसूस करते हैं वही इससे वाकिफ होते हैं
ना जिन्दा हैं ना मर ही सकते हैं हद की ये सितम भी
जाने क्यूँ इस कदर प्यार मे धड़कन यूँ लाचार होते हैं
जिसके लिए दुनिया छोड़ा वही हमें तन्हा कर गए
जिनका हर पल इन आँखों को इंतजार रहते हैं
शायद ही कभी खतम हो सिलसिला मेरी बर्बादी का
जो भी मिलता हैं नैना ज़ज़्बातो से खेलने वाले ही होते हैं…!!
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नैना…. ✍️✍️
काल्पनिक…