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कुछ दिन की ठहराव है ये जवानी तेरा
मिट्टी में मिल जानी है ज़िन्दगी एक दिन तेरा
देख कर लड़की लाचार क्यों आहे भरते हो
इसी राह से गुज़रेगी तेरी बेटी या बहन एक दिन देखना
बहुत गुरुर है न ये नवाबी ज़िन्दगी पर अपनी
छूट जाएगी रेत सी एक दिन हाथो से तेरा
किस गुमान पर करते हो ज़ुल्म हम लड़कियों पर
इसी राह से गुज़रेगी तेरी बेटी या बहन एक दिन देखना
क्या लगता है ज़ालिम तुम्हे जो चाहो कर लोगे
आग हूँ मैं मिट्टी की मूरत नहीं जो बाहो में भर लोगे
कितना सता पाओगे हमें कब तक तेरा ये रौब रहेगा
इसी राह से गुज़रेगी तेरी बेटी या बहन एक दिन देखना
ये न सोच नांदान की तेरा कोई कमजोरी नहीं है
मेरी तरह तेरे बहन बेटी भी इस जहाँ में महफूज़ नहीं है
जो सितम ढाह रहे हो मुझे कमजोर समझकर
बिच चौराहे पर कोई तार तार न कर दें इज़्ज़त तेरे घर का
ऐसे ही बिधाता ने पुरुष को आसमान नहीं माना
एक दायित्व है जो घरा को देता है धुप और छाया
स्त्रियों की सम्मान के वजह जो सरेआम ज़लील करते हो
इसी धरती पर ही तुम्हे उसका मोल भी चुका कर है जाना….!!
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नैना…. ✍️✍️