#रश्मिरथी सप्ताहिक प्रतियोगिता के लिए
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कब तक हम सब गुलाम रहेगे तेरे
कब तक तुम परेशान कर पायेगा
नहीं इतनी हस्ती तेरी ए गम सून ले
एक दिन तू मुंह के बल गिर जायेगा,
बहुत रो लिए ये बेकसूर आंखें मेरी
देखती हूँ इसे कब तक तू रुलाएगा
हारूगी नहीं तेरे दी मुश्किलों से अब
एक दिन तू खुद से भी हार जायेगा,
कर दिया है जो तुमने हीं इतना पत्थर
तो अब खुद के सामने खड़ा पायेगा
बहुत पाल लिए तुमने गलतफहमीयाँ
की मुझसे सारी खुशियाँ छीन जायेगा,
चल अब आगाज़ करते है इस जंग का
देखना है तू कहातक मुझे तोड़ पायेगा
तू डाल डाल मैं पात पात हूँ सामने तेरे
ए गम अब ना ज़िन्दगी को सता पायेगा,
खोकर अपनों को तन्हाईयों से जीती हूँ
ख़ुशी के पल भी कबतक यू रूठ पायेगा
मोड़ ले अपनी राहें ए मुश्किले ज़िन्दगी के
ना सोचना की अब लौट कभी आ पायेगा।।
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Naina✍️✍️