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करके उम्मीद हमने अपनों से ही
ये दिल सिर्फ तन्हाई और तड़प ही पाया है
पहली बार हुआ है ऐसा ज़िन्दगी मे
की आज दिल दर्द मे भी खुलकर मुश्कुराया है
जाने कब तक भटकते रहते हम इस आस मे
की दुनिया मे निकले कोई तो अपना है
ज़ब तोड़ दिया आज शीशा वहम की दिल से
तो हर शख्स मे हमने गैरों से चेहरा पाया है
जाने कैसा बोझ था अब तक इस दिल पर हमारे
जो अक्सर हमारे रूह तक मे चुभता आरहा है
आज बरसो बाद मिला है साँसो को राहत जैसे
जो इन सितमगरो की महफ़िल से अपना आशियाना बदल लिया है
अब नहीं बहकने वाले ये ख्वाहिशे हमारी
ए समा तू चाहे जितनी शाज़ीशे करले जितना करना है
बड़ा लिया है कदम जो अपने मंज़िल के तरफ
तो अब किसी हाल मे भी राहें नहीं मोड़ना है
बहुत परवाह कर लिया इस नाम -ए -दुनिया की
जो बची है ज़िन्दगी अब खुलकर खुद के लिए जिना है
बहुत फ़िक्र कर लिया नैना हर किसी के ज़ज़्बातो का
बनके पत्थर अब तुफानो से भी लड़कर पार होजाना है…!!
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नैना….. ✍️✍️✍️
(काल्पनिक….)