बंद खिड़की के पीछे भी…
ख़्वाब हुआ करते हैं,
कुछ अनकहे सवालों के …
जवाब हुआ करते हैं,
करूण रुदन, तो कहीं….
हंसी-ठिठोली के नाद हुआ करते हैं,
रह गई जो दब के आवाजें….
उनके चीत्कार हुआ करते हैं,
सिसकियां जो घुट गईं….
उनके कोमल वार हुआ करते हैं,
स्वर जो मिलकर गूंजते थे कभी…
उनमें तकरार हुआ करते हैं,
खुल न पाए भेद कभी…
ऐसे राज़ हुआ करते हैं,
प्रेम का संगीत बजे कभी…
दिलों में युद्ध घमासान हुआ करते हैं,
दर्द देने की जद्दोजहद कभी…
इक-दूजे के हमदर्द हुआ करते हैं,
गर्म एहसासों और खट्टे-मीठे रिश्तों के…
ओढ़े, लिहाफ हुआ करते हैं,
खिड़की के उस पार,
इन अनगिनत किस्सों के बिना…
घर भी, मकान हुआ करते हैं।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,इस लिए हम सबको आपने प्यार की खिड़की खुली रखना चाहिए
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प्यार की खिड़की खुली रखना,
बाहर का मौसम कैसा भी हो,
अंदर के मौसम को सुहाना बनाए रखना,
सर्दी, गर्मी, लू के थपेड़े, बरसात हो या बरसें ओले,
मन के मौसम को सुहाना बनाए रखना.
प्यार की खिड़की खुली हो तो,
बच्चों के वात्सल्य से प्राप्त ऊर्जा ठंड भगाती है,
पत्नी के प्यार से गर्मी खुद घबराती है,
बहिन के स्नेह से मन स्नेहिल हो जाता है,
भाई का भ्रातृभाव ही साहस बन जाता है.
प्यार की खिड़की खुली हो तो,
तो प्रभु से नाता जुड़ जाता है,
हर कोई अपना बन जाता है,
मित्र तो मित्रता निभाता ही है,
राहगीर भी रहबर बन जाता है.
प्यार की खिड़की खुली हो तो,
हर दिन ‘रोज डे’ हो जाता है,
मन मिले तो ‘प्रपोज़ डे’ हो जाता है,
‘चॉकलेट डे’ से चॉकलेट की मिठास बढ़ जाती है,
‘टेडी डे’ खूबसूरत टेडी को ले आता है,
‘प्रॉमिस डे’ साथ निभाने का वादा याद करवाता है,
‘हग डे’ प्रेम और अपनत्व का अहसास कराता है,
‘किस डे’ किस-किस से नाता रखना है सिखाता है,
‘वेलेंटाइन डे’ प्यार की खिड़की खुली रखने की याद दिलाता है.
प्यार की खिड़की खुली हो तो,
हर्ष भी हर्षित हो जाता है,
हर कोई आकर्षित हो जाता है,
जमीं तो झुकी हुई है ही,
आसमां भी सजदे में झुक जाता है.
प्यार की खिड़की खुली रखना,
बाहर का मौसम कैसा भी हो,
अंदर के मौसम को सुहाना बनाए रखना,
सर्दी, गर्मी, लू के थपेड़े, बरसात हो या बरसें ओले,
मन के मौसम को सुहाना बनाए रखना.
,,,,,,,,,,,,,स्वरचित♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️प्रीतम वर्मा♥️🌻♥️🌻