कहते हैं प्यार में बहुत सारी चीज़ें, बातें बदलाव नजर आने लगे 😊 और खुद की प्यारी चीजे जिसे हमने एक गहराई तक पाने के लिए चाहा है , जिससे निकलना मुश्किल जान पड़े🙄 और दूसरी पुरानी कीमती चीजे सामने आ जाए तो ऐसे में अपने हम दोनो प्यारी चीजों को साथ में रख कर एक दूसरे से परिचय करा देते हैं, फिर क्या..? वो प्यारी चीजें जो old is gold है उसे एक दूसरे में ताल में बैठाने लग जाते हैं ताकि वो कीमती चीज़ें ( मतलब जो बाहरी दुनियां है ) धीरे धीरे खुद बाहर निकल जाए😊। और उसे अपने प्यारी चीजों के खातिर सारी गम दर्द और सारी प्रस्थिती को हंसते खेलते अपना ले 🥰( इसे कहते हैं सांप भी न मरे और लाठी भी न टूटे🥰)…..
तो आइए समझते हैं हम इस कविता के माध्यम से 👇👇👇”❤️प्यार की बाहरी दुनियां❤️” शीर्षक कविता के माध्यम से 😊😊…..
Female version :–
फूलों की गुलाब बनकर ,
जो ठहर गए हो तुम दिल ❤️में,
उसे निकालना तो नामुमकिन सा लगता है,
बिखरे पड़े थे हम अकेले,
उस दिन आपने आकर मुझे दिल से लगाया था,
मुझे कुछ सूझ नहीं रही ओ मेरे सितम ,
इसलिए जान से तुम्हे अपना बनाया है 🌹,
छोड़ तो नही सकती तुम्हें भी,
लेकिन अपना पुराना लौट आया है 🥰,
दे देगा मेरे प्यार में जान अपनी ,
ये इश्क बड़ा बैगाना लगता है 🙄,
ठहरे हुए हो जो तुम बाहरी दुनियां में,
वो एक सपना सा लगता है 😊,
इसलिए चीजों को समेटकर पोटली में,
उसके दर्द , तड़प को आपको ये दिल
रूबरू कराना चाहता है,
क्योंकि हो सनम आप बाहरी दुनियां के,
हमे तो बस चीज पुराना सा लगता है ।
Male version:–
रो मत पगली तुम्हारी ये बाहरी दुनियां,
तुम्हारे प्यार में तुम्हे बस खुश देखना चाहता है🥰,
जो बिखर गई थी तुम अपने आशियाने में,
मै बस खुशियां लौटाने आया था 🥰,
गम नहीं है मैं बाहरी दुनियां हूं,
प्यारी तुम्हारी चीज मिल जाए ,
बस उसी में अपना खुशियां लुटाना है 🥰,
हूं नहीं मैं यम जो हर अल्फाज से तुम्हे सताएंगे😊,
ना कोई इंद्र जालिम सा ,
जो तुम्हे कहर बनकर डराएंगे😊,
रो रो कर ओ मेरी प्रिय तुम,
टूट कर बंट न जाना 🥲,
है मनीष बस खुशियां तुम्हारी चाहता है,
खुश रहकर प्रतिलिपी वासियों से ,
अपने ठंड पड़े किताबों की दुनियां में
खो जाना चाहता है 🥰,
पलटा नही है हालातों को सुलझाते सुलझाते,
अब अपनी दुनियां में खो जाना चाहता है ।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
काल्पनिक…….
✍️✍️✍️मनीष कुमार🌹