“बिंदिया” शब्द जो महिलाओं या फिर लड़कियों की श्रृंगार होती है वो बड़ा ही मनोभावन ओर स्त्री विशेषता की प्रतीक मानी जाती है 😍। अगर हम किसी स्त्री को देखे तो उनकी माथे पर लगी बिंदिया उनकी सुंदरता को चार चांद लगा देती है , जिस प्रकार हमे बहुत सारा व्यंजन परोस कर रख दिया गया हो और उसमे नमक का स्वाद ही नहीं 🙄 तो हमें उस व्यंजन की महता कम जान पड़ती ठीक वैसे ही स्त्रियों पर एक छोटी सी “बिंदिया” का संबंध उनकी श्रृंगार विशेष से है ।
लड़कियां छोटी हो या बड़ी उन्हें एक छोटी सी “बिंदिया” लगा दो फिर देखो कैसे उनके रंग रूप और ललाट पर तेज प्रकाशित होती है 😍। और वही बिंदिया एक दिन अपने साजन के नाम पर समर्पित हो जाती है 😍। कितनी सौम्यता की बात होती है जब कोई स्त्री अपनी बिंदिया सिर्फ तो सिर्फ अपने साजन के नाम से पहनती हैं।
तो चलिए जानते हैं एक छोटी सी का महत्व इस कविता के माध्यम से 😍…।
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ये जो बिंदिया लगाई हो सजनी मेरे नाम की,
मै देखकर उन्हें आपकी प्रेम की दीवाना हो गया हूं,
मन में बहुत से ख्याल आ रही है,
कैसे प्यारी सी बिंदिया ने आपसे मिलने को मजबूर किया ।
ख्यालात आ गए बहुत आपके लिए दिल❤️ में मेरे,
जब पहली बार आपको दीदार किया 😍,
दिल की धड़कने तेज 💓हुई जो नजारे सामने खड़ी थी,
मचल उठा मन बस तुम्हारी बिंदिया को चूमने की😘 ।
तुम्हारी इस छोटी सी बिंदिया में है जो राज छिपे सनम,
आप उस राज को हमारे प्यार के दामन तले बता भी दिया करो,
खुश हो जाता हूं जब “बिंदिया” आपकी चमकता पाता हूं,
बिंदिया री हमेशा मेरी सजनी के माथे सजी रहना😍।
सजनी की मांग में जो सिंदूर लगी है,
बिन बिंदिया की खिली नही है,
जैसे बिन साजन के आपको अधूरी सी लगती है,
सजनी की बिंदिया री साजन को बहुत भोली सी लगती है ।
निहारता ही रह जाता हूं आपकी इस कातिल अदाओं की,
जब छोटी सी बिंदिया लगी होती माथे पे तेरे 😍,
चाहता है दिल प्यार से भर दूं तुम्हें जो तुम पास आओ,
देखेगी दुनियां तुम्हारी “बिंदिया” की प्यार की निशानी ।
रौशन हो जाती है सोलह श्रृंगार तुम्हारे😍,
जो प्रेम की बिंदिया सजती है साजन के हवाले,
जाएगी नही कभी खुशियां प्रेम में,
ये आशीर्वचन है सनम हमदम हमनवां, जीवन संगिनी मेरी❤️।
✍️✍️✍️ मनीष कुमार💘