मैया शीतला को कर लो पूजन ध्यान। 
काम तोरे बन जैहें।।
रोग सोक बे हरबे बारी।
सुख के साधन देबे बारी भर दैहें तोरे भंडार।।
सीरो भोग मैया के मन भाबे।
सीरो हात मैया सिर पे फेरें किरपा करतीं अपार।।
मैया के मंदिर नोने बने हैं।
कंचन कलसा शिखर पे सोहें कट जैहें कलेस अपार।।
मैया के दोरे भगत जन ठाँडे़।
दरस आस लय आये सारे सोरह चढा़बें सिंगार।।
आसा की आस लगी मैया तोसें।
जीबन नैया तोरे भरोसे कर दईयो बेडा़ पार।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉ आशाश्रीवास्तव जबलपुर
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