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हर पल जिसके लिए दुआएं की
वो लम्हा आज जब सामने है मेरी
फिर क्यों दिल ख़ुश नही अब जो
इंतजार था वो इश्क़ मेरे साथ है!
आँखों में ही गुज़ारी है कयी राते मैंने
उस ज़ख़्म की मलहम्म पास है मेरी
फिर जाने क्यों आराम नही दिल को
जब हमदर्द अब हर पल मेरे साथ है!
जाने कितनी अहसास छुपाये फिरती
हसरते पलते रहे है इन आँखों में मेरी
आज क्यों नमी लिए जल रही पलके
जब चाहत की वो मंज़िल मेरे साथ है!
बहुत जतन की, बहला दू खुद को मैं
जो टिस उठ रही है इस दिल से मेरी
लाख कोशिशे नाकाम क्यों रह जाती
जब हर अपना अब हर पल मेरे साथ है!
क्या जवाब दू किसी को भी पता नही
ख़ामोशी में जब्त है कांपती ये होंठ मेरी
कहाँ खोगयी खुद वो मुस्कुराती “नैना”
जब खुशियों की कांरवा अब मेरे साथ है!!
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Naina✍️✍️
काल्पनिक