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इंतजार हैं उस पल का इन आँखों को
जब हमें ढूंढ़ते हुए आओगे हमारे राहो से
रहती थीं मेरी हमदर्द इस सामने वाली खिड़की मे
एक दिन पूछते फिरोगे पता मेरी इन महकी फिज़ाओ से
हर एक जतन करोगे तुम मिलने की हमसे
मेरे जैसी मांगते फिरोगे तुम भी हमें दुवाओ मे
दूर दूर तक कोई निशां न मिलेगा मेरा तुम्हे ओ बेदर्दी
एक दिन पूछते फिरोगे पता मेरी इन महकी फिज़ाओ से
अभी अहसास नहीं तुम्हे मेरी मोहब्बत की
गुम हो तुम किसी गैर के झूठी फरेबी अदाओ मे
जिस दिन टूटेगी भरम तेरे आँखों का याद रखना ज़ालिम
एक दिन पूछते फिरोगे पता मेरी इन महकी फिज़ाओ से
आज झूठी लग रही हैं हर वादे और सौगाते मेरी
खुद से ही नफ़रत होंगी तुम्हे जो मिलूगी मैं ही हर अहसासों मे
जा चुकी होंगी ये पागल तेरे महफिल से बहुत दूर कहीं
एक दिन पूछते फिरोगे पता मेरी इन महकी फिज़ाओ से
मैं ये नहीं कहती की ऐतबार कर अफसाने पर मेरी
एक दिन खुद तुम्हे अहसास होगा मतलब इन अल्फाज़ो के
जहाँ से भी गुज़रोगे हर मौसम पर लिखा होगा कहानी मेरा
एक दिन पूछते फिरोगे पता मेरी इन महकी फिज़ाओ से
सुनो… एक काम करना मेरा कभी नम पकले न करना
चाहे लिख देना नाम मेरी ज़ालिम, सितमगर,बेवफाओ मे
जाएगी हर समा धुन मेरी चाहत मे लिखी इस ग़ज़ल को
सिर्फ नैना की परछाई ही मिलेगी तुम्हे हर तरफ फिज़ाओ मे…!!
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नैना…. ✍️✍️
काल्पनिक…