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अजीब कश्मकश है ज़िन्दगी भी
जहाँ से गुज़रता है प्यार ही ढूंढ़ता है
वो तन्हाई से भरी आलम हो या भीड़ दुनिया की
हर तरफ ये आँखे अपनों का काँरवा ढूंढ़ता है
कहते है बहुत अनमोल होती है हर किसी के ज़िन्दगी
हर सांस कोहिनूर हिरे से भी कीमती होती है
फिर भी कोई मोल नहीं रह जाता ज़िन्दगी मे उस पल
जिस पल दिल आख़री दफा धड़कने की वजह ढूंढ़ता है
बहुत समझाते है हम दिल को अपने रोकते है बहकने से
समझौता गमो से कर लो जो कुछ पल की ज़िन्दगी है
वहाँ खुशियाँ भी फीकी लगती है जहाँ अपने भी रूठें हो
जिस तरह दिल उस भीड़ मे भी तन्हाई का वजह ढूंढ़ता है
किसकी खता है ये जो सितम हमारी दिल पर होरहा है
अपना होकर भी हर रिश्ता हाथो से छूट रहा है
कैसी मज़बूरी है ये ज़िन्दगी का जो पल पल अहसान सी लगता है
ज़ब ज़ब ये होंठ अपनों के बिच भी मुश्कुराने की वजह ढूंढ़ता है…!!
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नैना…. ✍️✍️
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