#रश्मिरथी सप्ताहिक प्रतियोगिता के लिए
ज़िन्दगी भी एक गहरी पहेली है
समझो तो ये पक्की सहेली है,
साथ में देजाती है कयी सबक
हार, जीत और सीख भी देती है!
दुनिया में किसी पर भी ए दोस्त
यकीं करना एक गलतफ़हमी है,
घूमते है इंसान हीं कई चहरे लिए
हर शय को पहचानना मुश्किल है!
अपनों सी मिठी बोल से छल रहे लोग
सामने कुछ और पीछे जाल घनी है,
न कर बैठना ए मन भरोसा किसीका
क्या पता कौन कर बैठा तुझसे दुश्मनी है!
कब बदलेगा ए रब ये जहान सारा
बेगुनाहो के हक में हीं क्यों बेबसी है,
क्यों बनने लगे अपने हीं गैर जग में
अब तू बता की तेरी भी क्या मजबूरी है?
न रहा कोई मान -सम्मान अपनों का
दिखता है हर आँखों में धोखादड़ी है,
सही होने लगे वो मुहावरें दुनिया में ‘नैना’
अब लोगो के मुंह में राम बगल में छुरी है!!
Naina✍️✍️✍️