,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रात दिन हर पल तेरे यादों मे खोया रहता हूँ
तुम्हे क्या पता दिलरुबा मेरी कितना तुम पे मरता हूँ
तेरे इनकार करने से दिल का अहसास नहीं बदल जाता
तुम मानो या ना मानो सनम मैं तुम्हे जानसे ज्यादा चाहता हूँ
ज़ब ज़ब तुम देखती हो छुपके से मुझे पलके उठा के
लगता है जैसे खिड़की से माँगी दुआ कबूल होगयी हो
क्या बताऊ कितना तड़प उठता है दिल ज़ब फेरती हो नज़रे
तुम मानो या ना मानो सनम पल पल तेरे दीदार को तरसता हूँ
जाने किस ख्यालो मे खोये फिरती हो सनम हर पल तुम
कभी तो बयां कर दिया करो क्या सोचती रहती हो तुम
याद नहीं रहता मुझे खाने पिने का भी जो होश नहीं रहता
तुम मानो या ना मानो सनम मैं हर पल तेरी परवाह करता हूँ
कबसे दिल बिछाये बैठा है दीवाना तेरे इश्क़ की राहो मे
अब तो न तड़पाओ जाना मेरी आजाओ मेरे पनाहो मे
भूल जाओगी दुनिया को इतना प्यार दुगा तुम्हे ज़िन्दगी मे
तुम मानो या ना मानो दिलबर सिर्फ तुम पे ही मैं मरता हूँ
पता नहीं क्या अंजाम-ए-वफ़ा होगा कभी सोचा नहीं है
पर इतना तय है महबूब मेरे यूँ जुदा होके जिना नहीं है
बस एक बार हाँ कह दो छीन लुगा उस खुदा से भी तुम्हे
तुम मानो या ना मानो सनम मैं सिर्फ तेरा हूँ ये सरेआम ऐलान करता हूँ
कैसे जाहिर करू मोहब्बत अपनी तेरे सामने ओ सनम
कर दी अपना ज़िन्दगी का हर पल बस तेरे नाम मेरे सनम
खुद पर मुझे यकीं है एक दिन पा लुगा तेरे मोहब्बत को भी
तुम मानो या ना मानो सनम अपने हर सांस पर तेरा ही नाम लिखता हूँ
क्यों बनती हो अनजान मेरी चाहत कभी तुमसे छिपा नहीं है
रहती हो यूँ दूर मुझसे ये सज़ा दिल अब सह पता नहीं है
कुछ तो सिला दो ए मेरी हमदम मेरे इस बेपनाह प्यार का
तुम मानो या ना मानो हमेशा तेरी आँखों मे मैं खुद को पढ़ता हूँ
मत डर ए मेरे ज़िन्दगी की मालिक दुनिया की रस्मो से
वादा है रख दुगा जहाँ सारा एक दिन सनम तेरे कदमो मे
दुगा इतना खुशियाँ कभी गम का कोई निंशा तेरे दिल मे न होगा
तुम मानो या ना मानो सनम हर पल तेरा ही इंतजार करना हूँ
जान लेरही है ये फासला मोहब्बत मे अब सनम इनकार न करो
दिल के गुलशन से चुन कर इश्क़-ए-गुलाब लाया हूँ इसे एकरार कर लो
लिख देगा प्रीतम अपनी हर सांस पर ग़ज़ल महबूब तेरे नाम की
तुम मानो या ना मानो सनम मेरी आज सरेआम मैं तुम्हे इज़हार करता हूँ….!!
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,स्वरचित
✍️✍️✍️प्रितम वर्मा🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹