कहते हैं शादी जब भी कीजिए बहुत सोच समझ कर कीजिए क्योंकि ये आपके जीवन का वो अंतिम पड़ाव होता है जिसे पार कर लेने के बाद निकलना मुश्किल सा होता है 😊। क्योंकि हम शादी तो बस एक बार ही करते हैं और सबसे खुशी 🥰की बात ये होती है कि …, लडका हो या लड़की दोनों को एकदूसरे जीवन में एक नई एहसास बनती है 😍 और एक दूसरे को जानने समझने मतलब यूं कहे लें कि जीवन की डोर एक नई रिश्ते में बंध जाती है 🥰🥰। इसमें न किसी की कोई दुश्मनी और ना किसी से कोई हस्तक्षेप😊….।
फिर भी न जाने लोग ऐसा क्यों बोल देते कि शादी मतलब उसकी बर्बादी 🙄…, अरे जब बर्बादी ही होनी है तो हम शादी ही क्यों करें…?
ये तो बड़ी अराजकता वाली बात हो गई 🤔😊।
तो चलिए आइए समझते हैं “हमारी शादी की लड्डू” शीर्षक के माध्यम से प्रस्तुत है मेरी ओर से एक छोटी सी कविता 😍…….।
❣️❣️❣️❣️❣️
बचपन से खेलते कूदते हम बड़े हुए,
न जाने कब मेरी जवानी आन पड़ी है,
पापा मम्मी सभी की बोझ बन बैठे😜 हैं,
देखो “शादी की लड्डु” मन कैसे फुट रहे हैं।
फूलों ने ली अंगड़ाई, हवाओं ने किया इशारा,
चढ़ती जवानी छोरे और छोरे की, गुलाबों की खुशबू से महक रहे हैं,
मन की लड़कपन में “शादी की लड्डू फूट रहे हैं ।
कभी जो हम दोस्तों संग घुमा करते थे,
हंसी मजाक धूम चकोरी से घर के ताने खाए हैं,
देखो तुम बिटिया हुई है बड़ी और जवान,
सुनकर मन में “शादी के लड्डू “फूट पड़े हैं 😍,
निकल आए हैं जो बाल कमबख्त मूंछ और दाढ़ी का😜,
लड़का अब दिखने लगा है स्मार्ट गुलाबों सा,
फैल चुकी है बिजली जैसी इसकी जवानी का,
छा गई है उमंग रिश्तेदारों में “शादी की लड्डू” का,
बैठे हैं दो अनजाने और सगे संबंधी भी,
अपने बेटे बेटी की दिल का रिश्ता जोड़ने में,
क्या अच्छाई और क्या बुराई लगे हैं दूसरे को समझाने में,
है थोड़ी सी उलझन क्योंकि “शादी की लड्डू” आन पड़ी है 😍 ।
करके शादी की रिश्ता फिक्स सगे संबंधी,
रिश्तेदारों की हुड़ जो आनी है,
महीनों लग जाते हैं इन लम्हों में शामिल होने की😍,
जब मन में “शादी के लड्डू” फूट पड़ते हैं ।
आ गई है दौड़ शादी का सर्द हवाओं में,
दिल में एक उमंग और ताजी छाई है,
बजेंगे जो अब शादी की शहनाई दरवाजे पर,
हरियाली जो छाई है दिल में शादी की लड्डू का ।
जो बैठे हैं दुल्हा दुल्हन ताजपोस की कुर्सी पर 😍,
डाल कर एक दूसरे को वरमाला गले में,
वो अंतरिम घटा जो स्टेज पर छाई है,
देख कर छोरो और छोरियों के मन में अब “शादी के लड्डू” फूट पड़े हैं ।
चुटकी भर सिंदूर जो लेकर खड़ी है शहजादे,
बना लेना जीवन जीवनसंगिनी हमेशा उनके मन ने ठानी है 😍,
समझ न आए शहजादी को फुटकर आंसू निकल जानी है 😥,
रिश्तों का ये दो मोल है जीवन की जो मन में “शादी की लड्डू” फुटी है ।
कहो न कभी तुम शादी करके,
शादी बाद हुई हमारी ये मेरी बर्बादी है,
लाडली है वो अपने मम्मी पापा की😍,
स्वीकार करो तुम दिल की शहजादी को जो “शादी की लड्डू” खाए हैं ।
“शादी की लड्डू” खिलाओ ऐसे खुशहाली से ,
जिसे देख के जिसके मन ललचाए 😍,
जो खाए वो न पछताए और जो न खाए वो जरूर पछताए,
ऐसी अमिट छाप बनाओ तुम ,
है “शादी का लड्डू ” ये अमृत घोल पिलाओ तुम ।
❣️❣️❣️❣️❣️❣️
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏।
Manish marjaavaan 💘😊
🌺🌺🌺🌺🌺
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कहते हैं शादी जब भी कीजिए बहुत सोच समझ कर कीजिए क्योंकि ये आपके जीवन का वो अंतिम पड़ाव होता है जिसे पार कर लेने के बाद निकलना मुश्किल सा होता है 😊। क्योंकि हम शादी तो बस एक बार ही करते हैं और सबसे खुशी 🥰की बात ये होती है कि …, लडका हो या लड़की दोनों को एकदूसरे की जीवन में एक नई एहसास बनती है 😍 और एक दूसरे को जानने समझने मतलब यूं कहे लें कि जीवन की डोर एक नई रिश्ते में बंध जाती है 🥰🥰। इसमें न किसी की कोई दुश्मनी और ना किसी से कोई हस्तक्षेप😊….।
फिर भी न जाने लोग ऐसा क्यों बोल देते कि शादी मतलब उसकी बर्बादी 🙄…, अरे जब बर्बादी ही होनी है तो हम शादी ही क्यों करें…?
ये तो बड़ी अराजकता वाली बात हो गई 🤔😊।
तो चलिए आइए समझते हैं “हमारी शादी की लड्डू” शीर्षक के माध्यम से प्रस्तुत है मेरी ओर से एक छोटी सी कविता 😍…….।
❣️❣️❣️❣️❣️
बचपन से खेलते कूदते हम बड़े हुए,
न जाने कब मेरी जवानी आन पड़ी है,
पापा मम्मी सभी की बोझ बन बैठे😜 हैं,
देखो “शादी की लड्डु” मन में कैसे फुट रहे हैं।
फूलों ने ली अंगड़ाई, हवाओं ने किया इशारा,
चढ़ती जवानी छोरे और छोरियों की, गुलाबों की खुशबू से महक रहे हैं,
मन की लड़कपन में “शादी की लड्डू फूट रहे हैं ।
कभी जो हम दोस्तों संग घुमा करते थे,
हंसी मजाक धूम चकोरी से घर के ताने खाए हैं,
देखो तुम बिटिया हुई है बड़ी और जवान,
सुनकर मन में “शादी के लड्डू “फूट पड़े हैं 😍 ।
निकल आए हैं जो बाल कमबख्त मूंछ और दाढ़ी का😜,
लड़का अब दिखने लगा है स्मार्ट गुलाबों सा,
फैल चुकी है बिजली जैसी इसकी जवानी का,
छा गई है उमंग रिश्तेदारों में “शादी की लड्डू” का,
बैठे हैं दो अनजाने और सगे संबंधी भी,
अपने बेटे बेटी की दिल का रिश्ता जोड़ने में,
क्या अच्छाई और क्या बुराई लगे हैं एक दूसरे को समझाने में,
है थोड़ी सी उलझन क्योंकि “शादी की लड्डू” आन पड़ी है 😍 ।
करके शादी की रिश्ता तय सगे संबंधी,
रिश्तेदारों की हुड़ जो आनी है,
महीनों लग जाते हैं इन लम्हों में शामिल होने की😍,
जब मन में “शादी के लड्डू” फूट पड़ते हैं ।
आ गई है दौड़ शादी का सर्द हवाओं में,
दिल में एक उमंग और ताजी छाई है,
बजेंगे जो अब शादी की शहनाई दरवाजे पर,
हरियाली जो छाई है दिल में शादी की लड्डू का ।
जो बैठे हैं दुल्हा दुल्हन ताजपोस की कुर्सी पर 😍,
डाल कर एक दूसरे को वरमाला गले में,
वो अंतरिम घटा जो मंच पर छाई है,
देख कर छोरो और छोरियों के मन में अब “शादी के लड्डू” फूट पड़े हैं ।
चुटकी भर सिंदूर जो लेकर खडे है शहजादे,
बना लेना जीवन जीवनसंगिनी हमेशा उनके मन ने ठानी है 😍,
समझ न आए शहजादी को फुटकर आंसू निकल जानी है 😥,
रिश्तों का ये दो मोल है जीवन की जो मन में “शादी की लड्डू” फुटी है ।
कहो न कभी तुम शादी करके,
शादी बाद हुई हमारी ये मेरी बर्बादी है,
लाडली है वो अपने मम्मी पापा की😍,
स्वीकार करो तुम दिल की शहजादी को जो “शादी की लड्डू” खाए हैं ।
“शादी की लड्डू” खिलाओ ऐसे खुशहाली से ,
जिसे देख के जिसके मन ललचाए 😍,
जो खाए वो न पछताए और जो न खाए वो जरूर पछताए,
ऐसी अमिट छाप बन जाओ तुम ,
है “शादी का लड्डू ” ये अमृत घोल पिलाओ तुम ।
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बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏।
मनीष कुमार 💘😊
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