“उठो देखो सूरज निकल आया।
हवा पेशानी को सहलाने आया।
लेकर देखो चाय की प्याली
प्रेम से किसी ने दरवाजा खटखटाया।
चेहरे पर तेरे नूर है आंखों में सुरूर।
दिल की धड़कन बढ़ी हुई है।
और माथे पर गुरूर है।
उठो देखो हो गई भोर
दिल में उठ रही है हिलोर
फिजा में फैली है खुशबू
छुप गए देखो चांद चकोर।
लब है खामोश नजरें झुकी झुकी है
खामोशियों में शब्दों की बरसात हो रही है।
मची है दिल में हलचल चेहरे पे सुकून है।
बह रही है पुरवाई मन हो रहा मयूर है।।
🌹सु प्रभात 🌹
अम्बिका झा ✍️