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जाने किसकी मोहब्बत में ये रात खोया खोया सा है
ये मौसम भी आज कुछ बदला बदला सा है
जाने किस दिल को चुराने के लिए रचा है ये साज़िश
की इस चाँद के साथ ये रात तारो की बारात लाया है
ठंडी ठंडी हवाओ के संग ये ओस की शबनमी बुँदे
पिघल कर उंगलियों में दिल को लगती है छूने
जाने किस गली से आज किसीका चैन उडाने की इरादा लिए
ये रात चमकते चाँद के साथ तारों की बारात लाया है
खिलतीं फूलो की खुशबु महका रही पुरे आसियाने को
बिखर कर राहो में पंखुड़ीया कर रही इंतज़ार किसी से आने को
जाने किस भवरे की शिकारी बनने वाली ताजी कलिया
जो हद से भी ज्यादा इनमे आज इतना निखार आया है
बार बार मेरा दिल मुझसे यही सवाल कर रहा है
किसके लिए इस फ़िज़ा में आशियाने सजा है
मुझे लुभा रही समा क्यूँ होरही है इतनी बेताबी
जो ये रात चमकते चाँद के साथ तारों की बारात लाया है
चाँद के साथ उसकी चाँदनी और टिमटीमाते वो तारे
गुलशन में खिली कलिया दिल को लगी बहकाने
छत पे खड़ी नैना जाने कब से इस इंतज़ार में है
लगता है वो परदेशी मेरा अपने शहर लौट आया है….!!
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नैना…. ✍️✍️💓
काल्पनिक……
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