चलो आज एक नए सफर पर जाते हैं
तुम्हें दोस्ती का एक अनोखा किस्सा सुनाते हैं,
जो वो है बनारस का मिठ्ठा पान 
तो हूं मैं भी बिहार की तीखी पकवान।
एक अनजाने सफर में एक अनजानी सी मुलाकात 
थोड़ी सी नोंक झोंक और थोड़ा सा प्यार,
रेलगाड़ी की तरह चली दोस्ती हमारी
खट्टी-मीठी यादों से बनी जिंदगी ये प्यारी।
वो प्यारा सा शक्ल वाला लड़का अपनी दिल की शहजादी को गंवा के बैठा था,
फिर भी हंसते हुए ख़ामोशी से महफिंल में अपने दिल को मजबूत किए बैठा था। 
हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते हैं
हार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते हैं,
कभी वो हमसे कभी हम उससे रूठ जाया करते हैं,
फिर हम उसे और कभी वो हमें मना लिया करते हैं।
एक दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह किया करते हैं।
ये बात बस कल की ही लगती है।
देखो ना हम तुम अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते हैं।
दोस्त वो है जिससे दोस्ती निभानी नहीं पड़ती
जिसे कोई भी बात समझानी नहीं पड़ती
रूठ भी जाए तो भी नहीं करता नज़रन्दाज़
इसलिए ये रिश्ता होता है बेहद खास।
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