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क्या खूब अजीब दस्तूर है ज़िन्दगी का भी
जो हर खेल बड़े होशियारी से खेल जाता है
ज़ब कभी हक़ से करें सवाल इस बात की इससे
तो आसानी से एक हादसे की नाम दें जाता है…!!
ये कोई नियम है उस खुदा की या है कोई दुनियादारी
करके लाखो गुन्हा दुनिया ने भी हादसा की नाम दें डाली
क्या है ये सिलसिला कैसी है ए दिल ये कैसी तमाशा है
कितना भी सम्भल कर चले ये हादसे होही जाता है…!!
हर तरफ है रुसवाई का आलम, हर तरफ नफरतों की हवा
जहाँ से भी गुज़रता है दिल हर किसीसे मिलता है दगा
कभी अपने तो कभी गैरों के फ़साने हमेशा सुनते रहे हम
मिलाकर आंखें लोग इश्क़ को भी हादसे की नाम देजाते है…!!
क्यूँ बढ़ाते है कदम मोहब्बत मे ज़ब निभाना नहीं होता है
क्यूँ इस दिल को उसी एक के ख्यालो मे बस धड़कना होता है
क्यूँ होजाते है दीवाने इस कदर खुद से भी बेखबर ए खुदा बता
की क्यूँ… हर सच्चे मोहब्बत के लिए लिखी जुदाई होता है…!!
कभी बेपरवाह सा धड़कता था दिल इस सीने मे हमारे
आज किसीके इश्क़ मे दीवाना बन हर पल तड़पता है
जाने कब हम भी गुज़र गए इस हादसे से खबर भी न हुआ
जो अब ज़िन्दगी जैसे पल पल सज़ा सी बोझ लगने लगा है…!!
मानते है ज़िन्दगी मे किसीका जोर इस दिल पर न चला है
जान गए है ये हादसे ज़िन्दगी की किसीको नहीं बक्शा है
हाँ माना बहुत मुश्किल होता है सम्भलना लेकिन सम्भल कर चलना यारों
नहीं तो अहसास भी नहीं होता, ऐसे हादसा कब ज़िन्दगी को जिन्दा लाश बनाकर चले जाता है….!!
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नैना….. ✍️✍️✍️