सुमित दोनों को अपने तरह देखते पाकर बात बदलते हुए..
सुमित -क्या नाम बताई मैम आपने इस छोटी सी परी की..? पीहू राइट..?
पूजा मैम -हाँ सबसे छोटी और हम सबकी जान पीहू ही है। 😊सुमित मन मे ही (pls मैम मेरी जान का भी नाम बता दीजिये न बहुत अहसान मंद रहता आपकी )कुछ कहाँ आपने..? पूजा मैम की पूछने पर सुमित सामान्य होते हुए
सुमित -नहीं मैम कुछ नहीं। तब तक आरती, राधिका और शालिनी केक की टेबल गुलाब की पंखुडियो से और बलून से सजा कर सबके बीच पहुंची जिसे देख सारे बच्चे ख़ुश होकर ताली बजाने लगे। मुश्कान पीहू को गोद मे उठाते हुए
मुश्कान -पीहू बेटा अब छोड़ो अपनी दीदी को नहीं तो केक कैसे काटेंगे हम..?इतना सुनते ही पीहू मुश्कान से अलग होगयी। तभी अचानक से मुश्कान की नज़र सुमित पर पड़ी जो उसे ही देखे जारहा था बार बार, वो पूजा मैम और कुसुम के तरफ देखा तो जहाँ पूजा मैम सारे बच्चो की नाम सुमित से बताने मे लगी थीं वही कुसुम सुमित को घूर कर देख रही थीं क्योकि उसे मुश्कान को बार बार देखना कुछ ठीक नहीं लग रहा था।मुश्कान कुसुम की रिएक्शन समझते हुए कुसुम के पास आकर खड़ी होगयी। और धीरे से कुसुम से (क्या हुआ दी.. आपका मूड क्यूँ बिगड़ा हुआ है?)कुसुम चौकते हुए
कुसुम -नहीं तो…। ऐसी कोई बात नहीं है मेरा मूड भी ठीक है। इससे आगे कुछ कहती तभी पूजा मैम आवाज़ उनतक पहुंची जो राधिका, आरती और मुश्कान को साथ मे बुला रही थीं।
पूजा मैम -आरती, मुश्कान और राधिका बेटा आप तीनो ज़रा यहाँ आईये..!उनकी बात सुनकर तीनो उनके पास आने लगी । लेकिन सुमित पूरी कंफ्यूज की किसको किस नाम से बुलाया वो समझ नहीं पाया था।तीनो सहेलिया एक  साथ ही
यस मैम…
पूजा मैम -एक मिनट… सुमित के तरफ देखते हुए सुमित बेटा.. इनसे मिलिए यह यहाँ के सबसे प्यारी और सबसे काबिल सहेलियां आरती, राधिका और मुश्कान जिनके मेहनत और उत्साह से ये एंजिओ आगे बढ़ पा रहा है और बच्चे भी बहुत ख़ुश रहने लगे है। ऐसा कह सकते है की खुल कर ज़िन्दगी जिना सीख रहे है 😊। इतना सुनकर तीनो सहेलिओ की चेहरा खिल गया और सुमित भी मुस्कुरा दिया। तो मैम आगे बोली… और तीनो इनसे मिलिए ये है सुमित.. जिनकी वजह से पुरे शहर की नेटवर्क सुधर…. अभी इतना ही बोली थीं की सबके मोबाइल मे नोटिफिकेशन आने की आवाज़ आने लगी। राधिका ख़ुश होते हुए
राधिका -wow… 🤩नेटवर्क आगयी..?
पूजा मैम -हाँ ये पॉसिबल सुमित के टेलेंट की वजह से हुआ है। और आजके हमारे आश्रम की नया दानदाता भी। इतना सून फिरसे सब ख़ुश होगयी और मुश्कान सुमित के सामने हाथ जोड़ते हुए
मुश्कान -बहुत बहुत बहुत शुक्रिया आपका sir 🙏। जो इन मासूम बच्चो के लिए इतना सोचा। बेहद ख़ुशी होती है जानकर की आप जैसे लोग भी दुनिया मे है अभी.. 🙏😊। सुमित के पास कोई लफ्ज़ नहीं था बोलने को जैसे बिलकुल तैयार नहीं था की मुश्कान ऐसा कुछ उससे बोल देगी। तो वो सिर्फ अपना हाथ जोड़ कर
सुमित -जी ये हमारे लिए भी बहुत खुशी की बात है।तभी शालिनी सबके पास आते हुए
शालिनी -तो अब केक कट करते है न यार। आजाइये सब। सुमित बिना भाव के ही शालिनी के तरफ देखा फिर पूजा मैम के तरफ तो मुश्कान मुश्कुराते हुए
मुश्कान -ये हमारी बहन शालिनी और कुसुम को इशारा करते हुए ये हमारी दीदी है अक्सर यहाँ आया करती है।इतना सुनते ही सुमित दोनों को ही hello कहाँ और वो दोनों भी तो मुश्कान आगे बोली.. चलिए आजकी इस परिवार की ख़ुशी मे आप शामिल होजाइये बच्चो को बहुत आछा लगेगा। 😊
सुमित -जी बिलकुल ये हमारे लिए बहुत ज्यादा खुशी की बात होंगी की आप सबके साथ आपकी खुशियों मे शामिल होने की।
आरती -फिर चलते है सारे बच्चे इंतजार कर रहे है। और देर किया तो केक ऐसे ही ख़तम होजानी है। इतना सून कर सब हँस दिए और सब बच्चो के पास गए जो पहले से ही केक वाली टेबल को घेर कर खड़े थे।और आपस मे बाते भी कर रहे थे या ऐसा कह सकते है केक देख कर सबकी मुँह मे पानी भरा हुआ था।
मिहर -पीहू…. एक काम कलते है न तुम काट दो ये केक..
पीहू -मिहिल भईया तुम काटो न मुझे न केक खानी है डांट नहीं 😣। तब तक सब उनके पास पहुंच चुके थे शालिनी तालिया बजाते हुए
शालिनी -चलो चलो बच्चो तैयार होजाओ मिठी मिठी केक खाने के लिए। इतना सुनकर एक छोटा बच्चा उसी मे से बड़े मासूमियत से 
दीदी हम कब से तैयार है खाने के लिए 🤤☹️राधिका उसे गोद मे लेते हुए
राधिका -ओओओ 😚मेली बाबू अब बिलकुल देर नहीं होंगी। कन्फर्म है।
मुश्कान -हाँ बिलकुल। चलो सब एक साथ आजाओ और एक दूसरे की हाथ पकड़ो। हम साथ मे केक काटेगे। तभी पीहू मुश्कान की हाथ खींचते हुए
पीहू -दीदी ये अंकल जी कौन है। पीहू इतना सुमित के तरफ ऊँगली दिखाते हुए कहाँ था। जिससे सुमित गिरने से बचा की उसे पीहू ने अंकल कह दिया। मुश्कान कुछ कहती उससे पहले ही सुमित पीहू को गोद मे उठाते हुए
सुमित -हमारी छोटी सी परी की नाम पीहू है ना? तो पीहू ने हाँ मे सर हिला दिया और अपनी आंखे छोटी करते हुए
पीहू -आप कौन हो..?
सुमित -हम..? आप हमें भईया कह सकती हो। हमारा नाम सुमित है। पीहू सुमित की गोद से उतरते हुए उसे निचे झुकने की इशारा किया। सुमित सबके तरफ देखा तो सब मुस्कुराते हुए उन्हें ही देख रहे थे। वो घुटनो से बैठ कर पीहू के पास बिलकुल पास गया। और अपनी दोनों हाथो से पीहू की चेहरा थाम कर उसकी माथे को प्यार से चुम लिया। जिससे सबकी चेहरा और भी खिल गयीं और पीहू सुमित के गले जा लगी। सुमित भी खुशी से मुस्कुरा दिया। पीहू उससे अलग होते हुए
पीहू -भईया आप लोज़ लोज़ आओगे न?
सुमित -अब तो हर रोज़ आएंगे अपनी राजकुमारी से मिलने। पीहू ख़ुश होते हुए सबके तरफ देखा और मासूमियत से मुश्कान से बोली 
पीहू -दीदी.. आजकी केक भईया के नाम काते क्या…? मुश्कान मुश्कुराते हुए
मुश्कान -बेशक़ मेरी गुड़िया जैसे आप सबकी खुशी.. 😘😍। इतना सुनते ही पीहू सुमित की हाथ खींच कर सबसे आगे खड़ी कर दी और सुमित को चाकू देते हुए प्यार से कहाँ
पीहू -आप इसे पकलो हम शब आपको..।
सुमित -मतलब..?आरती हँसते हुए
आरती -मतलब की हम यहाँ सब एक साथ केक कट करते है। वही बोल रही है की आज आप केक कट करोगे और सब एक दूसरे की हाथ पकडे रहेंगे। सुमित समझते ही मुस्कुराते हुए मुश्कान के तरफ देखा और नाइफ हाथ मे सँभालते हुए पीहू को अपनी गोद मे लेकर घुटनो के बल बैठ गया। बाकी बच्चे भी एक दूसरे की हाथ थामे मिहिर को पकड़ लिया और मिहर सुमित की एक हाथ पकड़ लिया। फिर सुमित पीछे मूड कर देखा तो पूजा मैम सबको इशारे कर दी और वो भी एक दूसरे की हाथ पकड़ कर मुश्कान को आगे कर दिया और मुश्कान प्यारी सी मुश्कान लिए पीहू के एक तरफ बैठ गयीं मतलब सुमित की बिलकुल पास जिससे उसके दिल की धड़कन बढ़ती जारही थीं। मुश्कान के पीछे पूजा ममैम, आरती, शालिनी, कुसुम, राधिका और बाकी के मेंबर भी…
  सबने ख़ुशी खुशी केक कट किया और सब ख़ुशी से बच्चो को अपने हाथो से खिलाये। और खुद भी एक दूसरे को खिलाये। हर कोई बहुत ख़ुश नज़र आरहे थे। बच्चे हो या एंजिओ के मेंबर्स की चहरे की ख़ुशी देख कर जहाँ पूजा मैम सुकून से मुस्कुरा रही थीं एक जगह खड़े हुए, वही हर एक बच्चो की चेहरा खिलते देख इन तीनो सहेलियां आपस मे गले मिलकर ख़ुशी जाहिर कर रही थीं। इन्हे इतना ख़ुश देख कर कुसुम और शालिनी के साथ सुमित भी दिल से मुस्कुरा रहा था और मन मे ही..
सुमित -देवी… काश ये ख़ुशी आपकी हम हर पल अपने आँखों मे भर पाते। भगवान करें आप ऐसे ही हमेशा ख़ुश रहे ज़िन्दगी मे। आजका हर पल आपके साथ बिताया हुआ मेरे life की सबसे हँसीन लम्हा है। जो मेरे दिल के हर कोने को आपकी मुश्कान से खिला दिया है। लेकिन अफ़सोस अभीतक आपकी नाम नहीं जान पाए हम।पर कोई बात नहीं देवी आपके इतना करीब पहुंच गए तो आपके अपनों मे शामिल होने मे भी हमें देर नहीं लगेगा। वादा करते है आपसे हम जल्दी ही हमारी रिश्ते की एक बहुत खूबसूरत पहचान होंगी।तभी पीछे से किसका आवाज़ उसे महसूस हुआ मूड कर देखा तो राधिका हाथ बांधे उसे ही देख रही थीं
सुमित -जी..
राधिका -क्या बात है मिस्टर सुमित जी कब से देख रहे है आप कहीं खोये खोये से है।
सुमित -नहीं तो ऐसी कोई बात नहीं है। और हाँ आप हमें इतने लम्बा नाम से बुलाने की तकलीफ न करे सिर्फ सुमित ही कह सकती हो। राधिका मुस्कुराते हुए
राधिका -ok जी..। Thank you soo much 😊। सुमित सांवलिया भाव से
सुमित -किस लिए मैम…?
राधिका -हाथ की मोबाइल दिखाते हुए इसके लिए कयी दिनों से मरीज़ की तरह पढ़ा था आज आपकी वजह से जान आगयी इसमें। सुमित मुस्कुराते हुए
सुमित -जी most welcome 😊। तब तक आरती, शालिनी, कुसुम के साथ मुश्कान भी उनके पास पहुंची। सुमित को ध्यान न देते हुए
मुश्कान -राधिका यहाँ क्या कर रही है यार घर नहीं चलना है क्या? आरती उसकी हाथ दबाते हुए सुमित के तरफ इशारा किया जिससे वो अपनी एक आंख के साथ अपनी होंठ दांत 😜से दबा ली। जिसे देख सुमित और भी प्यार से देखने लगा।
आरती -सुमित जी हम सबकी तरफ से आपको बहुत बहुत शुक्रिया 🙏
सुमित -लेकिन किस लिए जी..?
मुश्कान -आपने इस आश्रम के लिए डोनेशन दी और बच्चो के साथ अपना कीमती वक़्त बिताये इसलिए 😊।सुमित गंभीरता से
सुमित -जी इसके लिए तो हमें आप सबको धन्यवाद बोलना चाहिए। की हमें भी शामिल होने की अवसर दिया। और सच कहें तो हमारा वक़्त कीमती नहीं था। बल्कि यहाँ वक़्त बिताने से हमारे हर पल बहुत अनमोल सा लगने लगा।
मुश्कान -ये तो आपका बड़प्पन है जी। अच्छा राधिका हमें चलना चाहिये।
राधिका -हाँ हम अभी अपना समान लेकर आते है। कह कर वो अपने केबीन के तरफ चली गयीं। कुसुम आरती से
कुसुम -आज भी चल रही हो न हमारे साथ?
आरती -माफ़ करना दी.. आज घर नहीं गए तो.. जानती हो ना अब नेटवर्क का बहाना भी नहीं रहा कह कर वो हँस फी 😁😜। कुसुम उसके सर पर चपत लगाते हुए
कुसुम -शैतान कहिकी… हर वक़्त मज़ाक..?
मुश्कान -यही तो हमारी सहेलियों की खासियत है दी। सबसे अलग अंदाज़.. 🤗
कुसुम -हाँ पता है। सुमित से..  आपको भी पागल लग रही है न देखने से ही। सुमित हँसते हुए
सुमित -अरे नहीं दी.. ऐसा कुछ नहीं है। उसका इतना कहना था की सब उसे चौक कर देखने लगी। सबको ऐसे खुद को देखता पाकर उसे अहसास हुआ की अभी वो क्या कह गया। फिर कुसुम से आपको दी.. कह सकता हूँ न?
कुसुम -जी कोई बात नहीं 😊।
सुमित -thank you दी…। आपने बचा लिया वरना लगा था की कुछ पल पहले आपके साथ बाकि सबकी भी मार पढ़ने वाली है हम पर। आरती हँसते हुए
आरती -नहीं ऐसी कोई बात नहीं थीं. बस कंफ्यूज होगए थे की आप पहले से जानते हो क्या दी को.?वैसे ही
सुमित -जी बिलकुल हम आप सबसे पहले दी को जानता हूँ। शालिनी, आरती, कुसुम के साथ मुश्कान भी..
(क्या…? 😳और कब..?)सुमित हंसी दबाते हुए 🤭जी तब ज़ब आप सब बच्चो के साथ खेल रही थीं। मतलब आते ही मैम और दी से ही मिला था। 😊
मुश्कान -ओ.. ऐसी बात है? वैसे मानना पड़ेगा बहुत अच्छी मज़ाक भी कर लेते है आप। आरती उसे टोकते हुए
आरती -हाँ अब हर कोई आपकी तरह बोरिंग नहीं होसकता न..? 😜मुस्कान कुछ बोलती उससे पहले
सुमित -बोरिंग.. मै नहीं मानता.?मुश्कान और आरती साथ मे -क्यूँ..?
सुमित -जिनकी आवाज़ इतनी प्यारी हो जिससे संगीत को खुशियों का बहार मिल जाए। ऐसे शख्स को हम बोरिंग कैसे मान ले?
शालिनी-हम अब भी नहीं समझें।( तब तक राधिका भी आचुकी थीं।)
सुमित -आज की song…?मुश्कान के तरफ देखते हुए.. आप ही गारही थीं। मुश्कान कुछ बोलती आरती टोकते हुए
आरती -क्यूँ जी इतने सारे लोग है यहाँ कोई भी होसकता है। ये ही क्यूँ..?
शालिनी -राइट..। मै भी होसकती हूँ, या फिर राधिका दी या फिर कोई भी होसकता है। इनकी बहस से कुसुम ने अपना सर पकड़ लिया और खुद से ही (शुरू होगया इनका ये बंदा तो गया काम से 🤦‍♀️)राधिका अपने मन मे (ओ.. तो ये बंदा मुश्कान के गाने की आवाज़ सुनकर खींचा चला आया है। क्या बात है 👌अब देखते है कहाँ तक चलता है कहानी इनका ☺️)
मुश्कान -हाँ जी बोलिए हम ही क्यूँ? कोई भी होसकता है। 😊
सुमित -हाँ जी कोई भी होसकता है। लेकिन हमें लग रहा है वो song आप ही गारही थीं। खैर जो भी हो वक़्त आने पर पता चल ही जायेगा। 😊
कुसुम -जी बिलकुल सुमित…। शालिनी और ऊन तीनो से
चले अब..? चारो ने हँसते हुए हाँ मे सर हिला दी और सुमित को bye बोल कर मैन गेट से निकल गयीं। सुमित वही खड़ा मुश्कान को जाते देखते रह गया। कुछ देर बाद पूजा मैम उसके पास आयी। उसे आवाज़ देते हुए
पूजा मैम -क्या हुआ सुमित..? किसीका इंतजार कर रहे है क्या.?
सुमित -जी नहीं मैम। आप हिके पास आरहा था। Bye बोलने के लिए अब हम भी चलते है।
पूजा -ठीक है सुमित..। आते रहिएगा अक्सर हमसे ज्यादा बच्चो को बहुत अच्छा लगेगा।
सुमित -जरूर मैम। अब तो हमारी ख़ुशी भी यही बसती है।
पूजा मैम -मतलब..?
सुमित -यही की हमें बच्चे बहुत अच्छे लगते है। जो वक़्त उनके साथ बिता वो बहुत ही सुकून देरहा है हमें। यही बोल रहा था। ठीक है मैम अब हम चलते है।bye🙏
पूजा मैम -ठीक है बेटा… 😊😊🙏। सुमित वहाँ से मन ही मन खुद से कहता जारहा था की (आज इतने नज़दीक होकर भी बहुत दूर रह गए हम सुमित…ना नाम जान पाए, ना पता, और नाही नंबर… तभी उसकी नज़र गेट के पास लगे बोर्ड पर नज़र गया। जिसमे आश्रम के मेंबर्स के नाम के साथ उनके कांटेक्ट नंबर भी लिखा हुआ था। सुमित अपना मोबाइल निकाल कर उस बोर्ड की pic क्लिक कर लिया। और कहाँ की चल सुमित इसमें से कोई तो देवी का नंबर होगा। घर पहुंच कर try करता हूँ )बोलकर वोभी घर के लिए निकल गया।
    सुमित घर पहुंचते ही बिना किसी से कुछ बोले ही अपने रूम मे चला गया और डोर lock करके बेड पर गिर गया। आंखें बंद करके आज जो भी हुआ सब याद करके मुस्कुराने लगा। और जल्दी से अपना लैपटॉप ऑन किया उस मे से मुश्कान की तस्वीरें प्यार से निहारते हुए
सुमित -मेरी देवी.. आख़िरकार आप तक ये पुजारी आपका पहुंच ही गया। हाँ माना वहाँ तक नहीं पहुचे है जहाँ सही हमारा मंज़िल है लेकिन अभी फिलहाल के लिए इस हसीन याद को महसूस करना चाहते है। फिर कुछ सोचते हुए 🤔 एक मिनट.. कहीं ये मेरा आँखों का सपना नहीं था न देवी? आजका दिन, वो अहसास, आपसे बात करना, वो मुश्कुराते हुए चाँद सा चेहरे का इतने करीब से दीदार करना और सबसे ख़ास आपको अपने बिलकुल धड़कन के पास महसूस करना ये सब कितना खुशनुमा अहसास है कहीं ये सब मेरा सपना तो नहीं था न? Pls देवी बोलिये न ये सब हकीकत है न? तभी सुमित को उसकी कंधे पर किसीका हाथ रखा महसूस हुआ मुड़कर देखा तो लैपटॉप पर देखती हुई मुश्कुराते हुए
मुश्कान -नहीं… ये सब हकीकत था। वो पल भी और हम और आप भी सब हकीकत है,कोई ख्वाब नहीं है। इतना बोलकर वो सुमित के माथे पर किस कर लिया। जिससे सुमित का आँखे खुद पर खुद बंद होगया। और आंखें खोला तो सामने कोई न था सिवाए लैपटॉप मे मुश्कुराती हुए मुश्कान के पिक्चर के। सुमित लैपटॉप को बाहो मे लेते हुए खुद से ही..
सुमित -अब यही हकीकत तुम्हारे जीने की वजह है सुमित..।तभी उसकी फ़ोन मे इनकमिंग कॉल की रिंगटोन बजा।देखा तो राज शो होरहा था तो उसने तुरंत रिसीव कर लिया।उसके बोलने से पहले ही
राज -कैसे हो मेरे दोस्त…?सुमित लम्बी सांस भरते हुए
सुमित -क्या कहें यार अच्छा कहु या बुरा समझ नहीं आरहा है।
राज -क्या मतलब? देख यार पहेलियाँ नहीं सीधा सीधा बोला कर।
सुमित -ok… तो सून..
राज -एक मिनट रुक। मैं मोहन को भी ऐड करता हूँ।
सुमित -ठीक है कर ले।कुछ देर बाद ही मोहन और राज एक साथ बोलते है।
Hello.. भाई अब बोल..
सुमित -तुम दोनों पहले से बात कर चुके हो क्या..?
मोहन -हाँ, लेकिन ये जरुरी नहीं है पहले आप अपना दिन भर का हाल सुनाये।
सुमित -अब ये क्या था? आप…?
राज -तू ध्यान न दें ऐसी बातो पर। बता पहले क्या हुआ है।
सुमित -वो तो तुम दोनों को मालूम है मेरे भाई की हमें अपने देवी से बेइम्तेहाँ प्यार होगया है। अब तो और भी ज्यादा बढ़ने लगी है।
मोहन -हाँ मेरे रोमियो भाई हमें बहुत अच्छे से मालूम है। लेकिन पहले ढूंढ तो ले अपनी देवी को।
राज -हाँ मोहन सही कह रहा हो. लेकिन सुमित तुमने ऐसा क्यूँ कहाँ की अच्छा हूँ या बुरा? क्या बात है भाई?
सुमित -पहले किसको जवाब दू ये भी बतादो yr।
मोहन -पहले राज की सवालों का जवाब ही देदो। हमें भी जानना है तुमने ऐसा क्यूँ कहाँ।
सुमित -फाइन… तो सुनो…। हमने ऐसा इसीलिए कहाँ की आजका दिन तो बहुत ही अच्छा गुजरा कहें तो काम से लेकर हर पल घर आने तक बहुत ही खुशनुमा और दिलकश रहा है। और साथ ही हमारे इस पागल दिल❤️ का बुरा हाल है यार। धड़कने इतनी तेज़ है की नार्मल न होने की कसम खाई हो जैसे। सुमित के बात सुनकर दोनों के साथ ही..।
राज, मोहन -क्या बात है भाई मेरे कहीं भाभी से टकरा गए थे क्या? सुमित का इतना सुनना था की वो लैपटॉप बाहो मे संभाले ही बेड पर लेट गया। कुछ देर खामोश रहने के बाद धीरे से
सुमित -हाँ….! इतना कह कर वो आश्रम मे जो भी हुआ सब दोनों को सुना दिया। सून कर दोनों ख़ुशी से खिल उठे।
राज -मुबारक हो मेरे भाई 😍। आख़िरकार मिल ही गयीं भाभी हमारी।
मोहन -सही है yr बहुत अच्छी खबर सुनाया है तुमने।यार सुमित ज़ब इतना बात हुआ ही तो नंबर लिया ही होगा तुमने। इस बात पर सुमित मासूमियत से
सुमित -नहीं यार ☹️। नंबर नहीं मांगने की हिम्मत नहीं हुई। नंबर की छोड़ो नाम तक नहीं पूछ पाए हम। पुरे वक़्त confusion मे निकल गयीं की ऊन तीन नामो मे देवी का असल नाम क्या है। सुमित से इतना सुनकर दोनों अपना अपना सर पकड़ लिया 🙆‍♂️🙆‍♂️..। राज समझाते हुए
राज -कोई बात नहीं भाई मेरे। आज इतना तो मालूम होगया न की भाभी की खुशियाँ क्या है। नाम और पता का क्या है हम ही पता कर लेंगे।
मोहन.-हाँ राज सही बोल रहे हो। सुमित अब ज्यादा टेंशन मे रहने की जरूरत नहीं है। फिलहाल अभी फ़ोन रखते है हम बाद मे बात करता हूँ ठीक है?सुमित अपना सर पकड़ते हुए 🙆‍♂️
सुमित -हद है यार 🤦‍♂️कितना स्वार्थी होगया हूँ। तुम दोनों के हाल तो मैंने पूछा ही नहीं। कैसे हो यार और कहाँ हो..?
मोहन -हँसते हुए😁 अभी रास्ते मे है। थोड़ी देर मे होटल पहुचेगे हम फिर बात करते है।
राज -same… मैं भी थोड़ी देर मे बात करता हूँ अब होटल पहुंचने ही वाला हूँ। एक काम कर सुमित तब तक तुम भी माइंड फ्रेश कर लो। जानता हूँ बहुत उलझन से गुज़र रहे हो। अब सब जल्दी ठीक होजायेगा यार। सुमित मुस्कुराते😊 हुए
सुमित -हम्म…. ठीक है मिलते है बाद मे। बोलकर वो फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया। अचनाक से उसे कुछ याद आया और मोबाइल के गेलरी से कुछ पिक्चर चेक करने लगा जिसमे आश्रम की मैन गेट पर लगे बोर्ड की भी फोटो थीं उसमे से नंबर आला पिक्चर ज़ूम करके एक कागज़ पर लिख लिया। सारे नंबर नाम के साथ था तो पूजा मैम, राधिका और बाकी लोगो के नंबर उसे साफ साफ पहचान आगयीं थीं। लेकिन आरती और मुश्कान इन दो नामो मे से एक को चुनना मुश्किल होरहा था। लेकिन सुमित बहुत हिम्मत करके एक नंबर डायल कर दी लेकिन एक बार ही रिंग जाने के बाद कट भी कर दिया। ये सोच कर की कहीं ये नंबर उनकी सहेली की हुआ तो, या फिर उनका भी हुआ तो कहीं गलत न समझ ले हमें। इतना बेचैन होगया की सुमित ने अपना फ़ोन ही स्विच ऑफ कर दिया। और टावल लेकर फ्रेश होने चला गया।।
क्रमशः : तो पढ़ते है अगले part मे की वो नंबर आरती का था या मुश्कान का ही था। और आपसब से बिनती है 🙏pls पढ़ने के बाद रेटिंग के साथ कमैंट्स करके जरूर बताये की कैसा लगा 🙏🙏🙏
नैना…. ✍️
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