🌹🌹फूलो से महकी बहारों का मौसम है
🌹🌹दिल मे छुपे बात दिलबर से बयां करने की मौसम है
🌹🌹कुछ तो खास अहसास है इस दिल मे हमारे
🌹🌹 कहता हो जैसे हर धड़कन की आगया ये प्यार का मौसम है….!!
            हर रोज़ की तरह सुमित अपने ऑफिस से घर को लौट रहा था। हर रोज़ की तरह वही आँखों मे किसीका तलाश और होठों पर ख़ामोशी। चहरे पर एक गहरा सा भाव जो लगता है कयी बरसों से कोई खो गया है जो अब तक मिला नहीं। वो कार के बैक सीट पर बैठे कभी आसमान को देखता तो कभी अपन हाथ मे बंधे घड़ी को निहारता। तभी उसके कान मे आगे ड्राइविंग करते हुए राज की आवाज़ उसके कान मे पढ़े…
राज -मेरे भाई कितना भी घड़ी निहार ले। मंज़िल पर तो वक़्त आने पर ही पहुंच सकते है न। बोल कर वो साइड मे बैठा मोहन से हायफाय देकर हँस पढ़े। लेकिन सुमित के चहरे पर कोई भाव नहीं था वो अपना सर हिला कर फिर से बाहर देखने लगा।
मोहन -यार राज इसका कुछ नहीं होसका क्या..? कब तक ये ऐसे ही रहेगा। और अपना हाल किसी को बताता भी नहीं है 🤦‍♂️
राज -होगा भाई इसका भी कुछ बस जिसकी तलाश है इसे बस दुआ कर वो जल्दी मिल जाए…।
मोहन -वही तो भाई वो है कौन ये तो पता चले।
राज -जिसे देख कर हमारे भाई की चहरे पर मुश्कान खिल जाए। उस पल समझ लेना की वही है हमारे भाई का मंज़िल..।
मोहन -अच्छा…। सुमित के तरफ देखते हुए क्यूँ भाई सुमित..? क्या कहना है तुम्हे।
सुमित -पता नहीं…।
राज -मुझे पता है.।
मोहन अपने सर पकड़ते हुए -अरे यार कोई मुझे तो बताओ 🙆‍♂️। इस बात पर सुमित हँसने से नहीं रोक पाया और दोनों के तरफ देखते हुए
सुमित -नहीं सुधरोगे न तुम दोनों..?
दोनों साथ मे हम बिगड़े थे कब जो अब सुधरेंगे बोलकर फिरसे हायफाय देकर हँस पढ़े।
सुमित -भाई तुम दोनों को क्या लगता है। मैं छुपाऊंगा तुम दोनों से ज़ब मेरी दें…। बोलते बोलते रुक गया
मोहन -सुमित मेरे भाई रुक क्यूँ गया पूरा बोल दें
मुस्कुराते हुए सुमित -बोलूगा मेरे दोस्त लेकिन मेरी मंज़िल तो पहले दिख जाए।
   लेकिन फिलहाल अभी घर पहुंच गए क्रॉस मत कर देना अपने सूर मे ही।
राज -नहीं भाई ऐसा नहीं होगा। गर हम पुरे नशे मे भी होंगे न फिर भी अपने घर का पता नहीं भूलेंगे। 😊
मोहन -बिलकुल सही।
सुमित -सोचना भी मत वरना दोस्ती के साथ भाईचारा भी तोड़ दूंगा गर फिर पिने की बात की तो।
राज -अरे नहीं दोस्त पिने की बात नहीं कहाँ बस फॉर example कहाँ।
सुमित -चलो ठीक है ध्यान से जाना तुम दोनों भी कल मिलते है। मोहन छेड़ते हुए
मोहन-हाँ भाई हम तो कल मिलेंगे ही लेकिन सपने मे भाभी से जरूर मिल लेना।
सुमित -मुस्कुराते हुए वो मेरी रग रग मे है भाई उससे मिलने के लिए कोई वक़्त मोहताज नहीं है। राज उसे गले लगाते हुए
राज -दुआ है वो जल्दी ही हकीकत मे तुम्हारे साथ होजाए भाई 😊
सुमित -राज को hug करते हुए बिलकुल भाई
मोहन -मैं भी हूँ यार
सुमित -तो क्या इनविटेशन देना होगा तुम्हे..?
मोहन -अरे नहीं। बोलकर वो भी जाकर ऊन दोनों को कसके गले लगाते हुए। ऐसे क्या इनविटेशन दोगे yr गर शादी मे भूल भी जाओ न तो बिना इनविटेशन की शामिल होजाऊगा।
सुमित -very good भूलना मत कभी। बोलकर सब फिरसे एक दूसरे को कसके गले मिले और bye बोलकर अपने अपने घर के ओर बढ़ गए।
(सुमित ≈उम्र -25 साल,हाईट-लगभग 6″4, रंग -सावला,नीली आँखे,काले घूंगराले बाल, राज और मोहन की जिगरा दोस्त से ज्यादा भाई और तीनो एक टावर कंपनी मे साथ मे काम करते है but शौख से मज़बूरी मे नहीं।और तीनो की लुक लगभग एक जैसे ही है)
   लेकिन एक बात अगल है तीनो मे की जहाँ सुमित को अपनी मंज़िल की तलाश है.।जिसे वो अपनी ज़िन्दगी मानेऔर साथ ही शांत स्वाभाव की लड़का तो वही राज और मोहन कुछ खुले मिज़ाज़ के है जो बिन्दास जो मन मे आए ज़ब भी हो अपने मूड मे आते ही किसी को भी नहीं छोड़ते मज़ाक करने की उससे चाहे कोई नाराज़ हो या ख़ुश ये ऊन पर है 😊।
   सुमित एक पैलेस के बाहर खड़े होकर अपने जेब से पर्स निकाला और उसमे लगाए एक तस्वीर देख कर मन ही मन बोला…
पता नहीं कहाँ हो आप
किस जहाँ मे खोयी हो
जाने कब मिलोगी हमें
जो आप ही मेरे जीने की वजह हो
कैसे समझाऊ जाना तुम्हे की
तुम्हारे सिवा कोई नहीं है मेरा
जिसका हक़ मेरे ज़िन्दगी पर हो…!!
  इतना बोल कर सुमित फिरसे उस तस्वीर को पर्स मे छुपा लेता है और मुस्कुराते हुए पैलेस के अंदर चला जाता है।
क्रमशः… तो जानते है अगले भाग मे की आखिर कौन है। सुमित की मंज़िल… “”
नैना…. ✍️✍️✍️
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *