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जो कभी न सोचा था हमने
तुमने वो मंज़र भी दिखाया
ए ज़िन्दगी उफ्फ़ किये बिना
हर चुनौती को स्वीकार किया,
मन रोना चाहा कभी हमारे
फिर भी मज़बूरी में हंसाया
जब कुछ ख़ुशी की पल ढूंढे
तो ज़ार -ज़ार तुमने रुलाया,
अब कहते है लोग हमसे ये
खुदाने बहुत मजबूत बनाया
क्या कोई ये समझता भी है
की किस्मत ने कितना सताया,
ये नहीं कहते हम ए ज़िन्दगी
की तुम्हे वक़्त ने न जलाया
फिर भी क्या कसूर है दिल का
जो सिर्फ अनकहे से दर्द पाया,
आज हर कोई अपना है हमारे
तो आज तू है थोड़ा मुस्कुराया
इस ख़ुशी समेटे रहो ए ज़िन्दगी
वैसे तो हमें गम ने भी अपनाया।।
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Naina✍️✍️
काल्पनिक