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कैसे भुला दूंगी पल में तुम्हे ए हमदम मेरे

सोच भी नही सकती कभी जुदा  होने की

जिना सिखी हूँ मैं तेरी चाहत में सनम मेरे

गुरुर है मुझे इस कदर तेरे इश्क़ में होने की…!

कोई और ख्वाब नही  होते इन आँखों में

एक इंतजार रहता है जो तेरे दीदार होने की

भूल  बैठी हूँ जो दुनिया को मैं चाहत में तेरे

जरूरत नही किसी और अहसास में जीने की…!

मौसम-ए -बाहर आकर चली जाती है जो

तुम आए हो दिल से कभी दूर ना जाने की

बड़े सिद्द्त से सजाये रखी हूँ अहसासों को

दिल को सहारा मिला तेरे इश्क़ में धड़कने की…!

मुझे नही पता की क्या महसूस करते हो तुम

पर जी उठती हूँ मैं बस तुम्हे महसूस करते ही

कोई वजह नही दिखता तुम्हारे इश्क़ के सिवा

मर जाऊगी मैं सच में सनम तुमसे जुदा होते ही..!

मेरी चाहत, मेरी हसरत, मेरी ज़िन्दगी हो जैसे

कसम से दिल के मेरे आख़री ख्वाहिश हो तुम

हाँ… नही आता अब मुझे तेरे बिन जिना “नैना”

तुझे खोकर कुछ नही बचेगा, फिर कुछ खोने की…!!

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Naina✍️✍️काल्पनिक

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