एक कप चाय , मुझे तो बहुत भाये
बिना इसके तो ,मुझे कुछ न सुहाये ।।
शुरुआत सुबह की, होती है मेरी चाय से
मिले स्वाद जिंदगी में ,चाय की चुस्की से ।।
रिमझिम बरसात में,जो गर्म चाय मिल जाए
पकौड़े के संग जैसे ,दिन खुशनुमा बन जाए ।।
शीतल ठंड की , जब-जब बयार है चलती
“अदरक की चाय” मुझे तो भली है लगती ।।
एक कप चाय से, मुझे इतना है प्यार
प्यारी सी जिंदगी में ,जैसे हो हमदम, यार ।।
बयां कर दी मैंने , अपने दिल की बात
एक कप चाय के लिए ,जो है मेरे ख्यालात ।।
एक कप चाय , मुझे तो बहुत भाये
बिना इसके तो , मुझे कुछ न सुहाये ।।
😀☕😀
मनीषा भुआर्य ठाकुर( कर्नाटक)