इस वर्ष दिल से होली मनाने का मन है।
मन में बैठी होलिका को जलाने मन है ।।
इस………
सुना  है  प्रेम  का रंग होता है गहरा
प्रीत में पिया के डुब जाने का मन है ।
इस…….
यूं रस्म अदायगी के लिए अब मिलना नहीं 
भूल शिकवे गिले गले लगाने का मन है ।
इस………..
छेड़ दो फाग फिर से वही गांव वाली
सखियों के संग गुनगुनाने का मन है ।
इस…………
भूल जाना मैं चाहूं दुनिया दारी की बातें
मां के आंचल में बचपन बिताने का मन है।
इस………
बहुत उलझा हुआ ताना-बाना है मन का
मुस्कुराकर खुद को  सुलझाने का मन है ।
इस……….
स्वरचित:
पिंकी मिश्रा भागलपुर बिहार ।
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