डाकिया डाक लाया डाकिया डाक लाया
लाया प्रेम का संदेश और होठों की मुस्कान
रहता सभी को बेसब्री से इसका इंतजार
कहते इसको जादूगर करते काम महान
एक ही झोली में रखता आँसू और मुस्कान
सच ही कहा निदा फ़ाज़ली जी ने
डाकिया लेकर आता खुशियों का भी पैगाम
कभी लाता एक पिता का स्नेह पत्र तो
कभी एक पुत्र का अपनों की प्रीत का दर्द
कभी एक बिटिया का अपने
मायके से अलग होने का दर्द
तो कभी एक प्रेयसी का विरह
तो कभी एक प्रेमी का प्रियतमा के लिए
न जाने कितनों के प्रेम सन्देशा लेकर
आता है वो सीधा सादा साइकिल पर सवार
कभी तपती धूप में ,तो कभी बारिश की मार
कभी कंपकंपाती सर्दी में ठिठुरते हुए
वो सन्देश पहुंचाने का कार्य करता है
नेहा शर्मा