हे ! भारत के वीर जवान,
तुझसे है जिंदा यह हिंदुस्तान
पिता तेरा यह खुला आकाश,
सरहद की भूमि तेरी मात समान।
हे ! भारत के वीर जवान।
तेरी रग-रग में बहता लहू दर्प का,
ह्रदय तेरा राष्ट्रप्रेम से है भरा,
माथे पर चमक रहा सूर्य शौर्य का,
भुजाओं में अदम्य साहस है भरा,
किन शब्दों से करूं तेरा गुणगान।
हे ! भारत के वीर जवान।
वंदे मातरम् स्वर के गर्जन से,
देश के हर दुश्मन थर्राते,
नमन करता उस माटी को माथा,
तेरे कदम जहां-जहां तक जाते,
तू ही इस मातृभूमि की शान।
हे ! भारत के वीर जवान।
स्वरचित रचना
रंजना लता
समस्तीपुर, बिहार