पथ  के  पत्थर  फूल  बनेंगे, तू न डर पांव  के  छालों  से
काली   रातों   में  चलना  सीख, तपना  सीख  उजालों से 
जीवन  समर  में  मंजिल  तक  ,बिना  थके  चलना  होगा
हे भरत वंश के कुलदीपक,तिमिर मिटाने को जलना होगा।
फूटे  तो  वंश – बेल  कई ,  सब  कुलभूषण  न  बन  पाए 
मातृभूमि  की  रज  के खातिर, दुश्मन के आगे न तन पाए
बेच  दिया  ईमान को कुछ ने , कुछ  घर के  भेदी  बने  रहे 
जब चक्रव्यूह रचा हो अपनों ने ,षड्यंत्रों से संभलना होगा
हे भरत वंश……….
कितने जयचंद , विभीषण  को  घर  में  हमने  पाला  है
उग्रवादी,नक्सलवादी, आतंकवादियों से  देश संभाला है 
बहुत सह चुके खून-खराबा,पत्थरबाजी,मनमानी सबकी
शस्त्र उठाकर ऐसे दुश्मन पर, तुम्हें इतिहास बदलना होगा
हे भरत वंश…………
शितलता तुझ में चांद सी हो , सौर्य सूर्य सा मिले तुझे
ह्रदय  तेरा  अंबर  जैसा  हो,  धैर्य  धरा  से तुम पाओ
मॉं भारती के पूत हो तुम, रणचंडी के एक दूत हो तुम
मिला अभय वरदान तुझे , फौलाद में अब ढ़़लना होगा 
हे भरत वंश…………….
पिंकी मिश्रा ✍️.…..
भागलपुर बिहार।
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