हुआ नहीं मैं किसी का,सबको छोड़ मैं चला।
तोड़कर सबसे रिश्ता, अब कहाँ मैं चला।।
हुआ नहीं मैं किसी का———–।।
उम्मीद सबको यह है कि, दिल तोड़ूंगा नहीं उनका।
किसी को मालूम नहीं हो, खामोश होकर मैं चला।।
हुआ नहीं मैं किसी का———-।।
मैं उनके दिल की खुशी हूँ , उनके घर का नूर हूँ।
बुझा दिया वह चिराग मैंने,अंधेरा करके मैं चला।।
हुआ नहीं किसी का मैं————।।
हर दौर से मैं गुजरा हूँ , फिर भी रहा मैं अधूरा ही।
पूछो नहीं मुझसे यह सवाल, तलाशने क्या मैं चला।।
हुआ नहीं किसी का मैं———–।।
उदास है सबके चेहरे, रौनक नहीं है फिजा में अब।
आँखों से बह रहे हैं ऑंसू ,तोड़ सबके ख्वाब मैं चला।।
हुआ नहीं किसी का मैं —————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)