करके आये नौकरी,  पत्नी को आराम l
बेमन रोटी बेलते ,  हिया कहे हे राम ll
सज्जन मानुष ही सदा, सहे कार्य का भार l
लोक लाज का भय रहे, सहता  अत्याचार ll
रहे   नये युग में अभी,  शील नहीं है नार l
करे  काम पति देव जी  ,करे हिया चित्कार ll
सुन्दर घर की नार है , माने कभी नहिं हार l
परुष सदा पिसता रहा,करता नहिं वो रार ll
डटे रहे अब रार बन ,  हुई पत्नी विकराल l
छोड़ मोह माया सभी,दुनियां मायाजाल ll
@डॉ०ज्योति सिंह वेदी “येशु “✍️
———मधेपुरा (बिहार)———-
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