हिन्दी पत्रकारिता को जन्म दिए शुरु किया,
राममोहन राय ने पत्रकारिता को धार दिया।
ये पत्रकार होते हैं इस समाज के सच्चे प्रहरी,
कहाँ हो रहाहै क्या ?रखें नजर अपनी गहरी।
पत्रकार न हों धरती पर तो कुछ पता चले ना,
कहाँ होरहाहै क्या कुछ जरा भी पता लगे ना।
बड़ेही खोजी होते हैं बाल की खाल निकालें,
ऐसे कलम चलाते स्वयं ख़बरें लिखें निकालें।
कभी कभी स्टिंग ऑपरेशन भी करें निकालें,
फंस जाते हैं बड़े बड़े जब ये कैमरा निकालें।
कलम चल जाये इनकी तो होये जग जाहिर,
ऐसी खबर बना देंगे यह खबरों के हैं माहिर।
लोक तंत्र के कहलाते हैं यही तो चौथे स्तंभ,
कुछ ये विनम्र शालीन होते कुछ में रहे दम्भ। 
कुछ सच्ची बात हैं करते कुछ तो लाई चुपड़ी,
बिना बातके नहीं उछलती यूँ ही कोई पगड़ी।
होतेहैं सम्माननीय व समाज में आदर के पात्र,
कुछ के कर्म धर्म हैं ऐसे जो इसके नहीं सुपात्र।  
कुछ की पत्रकारिता है ऐसे माला उन्हें पहनायें,
कहीं मिलें दिखें तो पब्लिक अपने सिर बैठाये।
तुम सच्ची खबरों के स्वामी देश के होे पहरेदार,
कलम चले सदा सच खातिर बने रहें जिम्मेदार।
होते हैं जो स्वामिभक्त सरकारी ये नीति बखानें,
दिखे गड़बड़ी तो एक ही काफी लगते हिलानें।
इनकी कलम में होती है तलवारों जैसी ही धार,
इसी लिए सब बचते हैं नहीं ठानता है कोई रार।
राजा आरएम राय व सब पत्रकारों को है नमन,
आप सभी से ही तो है समाज में शान्ति अमन।
हिन्दी पत्रकारिता दिवस की आप सब लें बधाई,
दिल से पेश मेरा सम्मान शुभकामना एवं बधाई।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ प्र.
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