फांसी के फंदे पहन कर सरदार जगत।
कर गये उजियारा मुल्क क्या सारा जगत।
सोचा ना होगा कि हिंदी का बहिष्कार होगा।
उनकी कुर्बानियों का यहीं पुरस्कार होगा।
उनकी जमीं पर हिंदी विवाद,धिक्कार है।
अफसोस वतन में पैदा हुए मक्कार है।
विस्मिल ने लिखी हिंदी में अमर शायरियां।
पर देशवासी भूल चलें अपनी दायरियां।
लाठी प्रहार से शहीद हुए लाला।