कब क्या हो जाये किसी को नही है पता,
ज़िंदगी के कदन- कदम पर एक नया हादसा है खड़ा।
खेलते हैं दिलों से ,तो़ड़े जाते हैं दिल यहाँ।
वफा के नाम पर लूटा जाता, है मतलबी ये जहाँ।
प्यार ,अपनापन बांटने वाला हो रहा है तबाह,
चैन से वो सोता है जो फरेब कर रहा ।
हर हादसा देता सबक एक नया ,
रास्ता जिसने बनाया ज़िंदा वही रहा।
जो हादसों से उबर ना पाया,
वो ज़िंदगी जी ना सका।
हुमा अंसारी