हाथी के खाने दांत और हैं दिखाने के और
किशन गढ़ में एक बाबा ने पन्द्रह दिन से गाँव के बाहर बनी टूटी फूटी धर्मशाला में डेरा डाल रखा था। उसने गाँव के चार पांच लफंगौ को अपना चेला भी बना डाला था।
सौनू व मौनू को बाबा के पास भांग व सुलफा पीने को मिलता था। वह उस अघोरी बाबा के गुण गाते नहीं थक रहे थे।
अघौरी बाबा के पास आदमी कम औरतै अधिक आती थी वह किसी के सिर पर हाथ फेरता तो किसी को कोई फल देदेता जिससे वह खुश होजाती।
आज गंगा चाची भी अपनी बेटी को लेकर उस बाबा की शरण में आई और बोली," बाबा मेरी बेटी मौनी का दुःख दूर करो इसका बाप तो शराबी है । आप यह बताओ कि इसके फेरे कब होंगे।
अघोरी बाबा उसके शामले रूप को देखकर ठगा रह गया। ओर बाबा की लार टपकने लगी। बाबा अपने पर काबू पाते हुए बोला,” माई चिन्ता मत करो अब इसके सभी दुःख दूर होजायेगे क्यौकि अब यह हमारी शरण में जो आगयी है। इतना कहकर बाबा ने अपनी झोली से एक सेव निकाला और मौनी के सिर फर घुमाकर उसके गालों को स्पर्श करता हुआ उसके स्तनों पर घुमाकर उसकी झोली में डाल दिया। “
अब गंगा चाची उसको हर रोज वहाँ लाने लगी। और वह बाबा उसको किसी न किसी बहाने से छूने की कोशिश करता।
उसी गाँव का सरवण मौनी को प्यार करता था परन्तु उसने आज तक मौनी को यह बात बताई नहीं। जब सरवण ने देखा कि यह बाबा के चक्कर में फस गयी है तब उसने गंगा चाची को समझाने की कोशिश की परन्तु। उसने उसे फटकार दिया।
एक रात कोई पूजा करने के बहाने से बाबा ने गंगा चाची व मौनी को धर्मशाला पर ही रोक लिया। जब मौनी के बापू को मालूम हुआ तब वह रात को उन दोनों माँबेटी को खोजते हुए वहाँ आया।
बाबा ने उसे अंग्रेजी की बोतल थमादी। जिसे देखकर वह पागल होगया।और गंगा चाची को प्रसाद में नशे की दवाई खिलादी।
बाबाने मौनी के साथ पूजा आरम्भ करदी गंगा चाची कुछ समय बाद वही ं बैठे हुऐ नींद के आगोश में समागयी।
अब अघोरीबाबा मौनी के साथ अश्लील हरकतै करने लगा जब वह ऐसा करने से रोकने लगी तब वह बोला," तुम नही जानती ऐसा करने से तुम पवित्र होजाओगी और वह मौनी को जबरजस्ती एक कौने में खींच कर लेगया।
मौनी चीखने लगी तब उसने उसके मुँह पर कपडा़ बाँध दिया और उसके हाथ बांधकर उसके साथ मुँह काला करता रहा।
जब मौनी बेहोश होगयी थी वह उसको बेहोशी की हालत मेंही छोड़कर वहाँ से रात को ही भाग गया।
जब गाँव के लोग सुबह उधर आये तब वहाँ का दृश्य देखकर सभी के मुँह से बस एक ही बात निकल रही थी कि आजकल के बाबा बाहर से ढौगी बाबा है और इनके अन्दर कुछ और ही होता है। इनकेऊपर यह कहावत सही बैठती है कि हाथी के खाने दाँत कुछ और है एवं दिखाने के दाँत और है।
गाँव वाले अघोरी बाबा को ढूढ़ रहे थे परन्तु वह तो रात को ही भाग गया था। गाँव वालौ ने मिलकर मौनी को अस्पताल पहुँचाया और बाबा के खिलाफ थाने में एफ आई आर दर्ज करवाई।
हमारी पुलिस आजतक उस बाबा को खोज रहीं है। और वह बाबा अपने अगले शिकार को खोज रहा है।