हम जीये यहाँ कुछ इस तरहां, सबको खुशी हमसे मिले।
किसी चेहरे पर नहीं हो उदासी, रौनक हर चेहरे पर मिले।।
हम जीये यहाँ कुछ इस———–।।
आपस में हम नहीं लड़े, नहीं बांटे हम यह जमीं।
मिलता नहीं है इससे कुछ, बन जाते हैं दुश्मन सभी।।
हम जीये और जीने दे सबको, अमन यहाँ हर जगहां मिले।
हम जीये यहाँ कुछ इस———-।।
ना कोई दुःखी हो यहाँ पर , ना कोई भूखा यहाँ सोये।
सबकी हिफाजत हो यहाँ पर,ना डर किसी को यहाँ होये।।
रोशन हो चिराग सभी के,  चमन सभी का महका मिले।
हम जीये यहाँ कुछ इस———–।।
ना कोई भूले ईमान को, यहाँ सभी निभाये अपना फर्ज।
नहीं भूले शहीदों की कुर्बानी, जिनका है हम पर बहुत कर्ज।।
अपना वतन आबाद रहे, हम राह वतन की सदा चले।
हम जीये यहाँ कुछ इस———–।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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