हमारा कोई बुरा करें तो करें, मगर हम बुरा क्यों उसका करें।
बन जाये कल वह अपना साथी, हम काम ऐसा उसका करें।।
हमारा कोई बुरा करें तो———–।।
हमसे रुसवां है वह क्यों इतना, पूछे जरा हम इसकी वजह।
अच्छा है गर वह बता दे खता, मगर क्यों खता हम और करें।।
हमारा कोई बुरा करें तो———–।।
हम जीये और जीने दो सबको, मुकम्मल हो यहाँ ख्वाब सभी के।
दीपक हमारा चाहे कोई बुझाये, मगर उसके घर क्यों अंधेरा करें।।
हमारा कोई बुरा करें तो———-।।
हमको मिला है यह मानुष जन्म, मिलता नहीं यह फिर बार – बार।
मिटाना चाहे कोई हस्ती हमारी, मगर उसकी हस्ती क्यों बर्बाद करें।।
हमारा कोई बुरा करें तो————।।
बदलेगा एक दिन तो उसका भी दिल, होगी शर्म उसको अपने कर्म पर।
चाहे हमको अपना वह दुश्मन माने, मगर हम क्यों उससे नफरत करें।।
हमारा कोई बुरा करें तो —————।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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