12 जनवरी 1863 कोलकाता में जन्मा था, 
पिता ने नरेंद्र नाथ दत्त नाम इनको दिया था |
कुशाग्र अपनी बुद्धि से बनाई थी पहचान ,
हाजिर जवाबी थे बड़े स्वामी विवेकानंद महान |
युवाओं में बनी अलग पहचान थी उनकी ,
वाणी में जैसे कोई जादूगरी थी उनकी |
रामकृष्ण परमहंस थे धन्य ऐसा शिष्य पाकर ,
रामकृष्ण मिशन स्थापना की आगे जाकर |
सज्जन थे बड़े, सनातन धर्म के रक्षक थे वह ,
जिज्ञासु प्रवृत्ति , ऊर्जावान युवक थे वह |
सारे विश्व ने देखा इनका संबोधन, दिया था मान ,
मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों” से शुरू हुआ था ,
शिकागो में सनातन को संबोधित कर पाया सम्मान |
उठो , जागो और तब तक न रुको जब तक 
लक्ष्य की प्राप्ति न हो” यह कथन था इनका |
हिंदू दर्शन, वेद , शास्त्रों का ज्ञान भरपूर इनको ,
सत्यता , व्यावहारिकता का प्रतीक जानो इनको | 
इतिहास इन्होंने एक नया गढ़ दिया था ,
युवाओं के मन में उर्जा का संचार किया था |
इनके पद चिन्हों पर थोड़ा भी चल पाए तो ,
विश्व में मिलकर संस्कृति की धरोहर बचाएं तो | विवेकशील, धेर्यवान बन जाए कुछ उनके जैसे ,
आओ सच्चें श्रद्धासुमन अर्पित करें उनको ऐसे |
 शत शत नमन मेरा इनको बारंबार है ,
आ जाए कुछ मुझ में भी ऐसे ही अंश,
ईश्वर से मेरी बस एक यही दरकार हैं ||
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *