नवजागरण की अलख जगा
हर युवा की बने जो प्रेरणा।
धर्म अध्यात्म के आदर्श आचरण
ओजस्वी वाणी करे रहे धारण।
कल्याण मानव मात्र  का सदा रहा ध्येय
सम्बोधन से ही अपने जीता विश्व का हृदय।
भारतीय धर्म दर्शन को प्रदान की अद्भुत ज्योति
सदभाव और सदाचार की बने रहे आदर्श मूर्ति।
लक्ष्य प्राप्ति का दे गये ऐसा मूलमंत्र
हीनता एवं दुर्बलता से करा स्वतंत्र।
विचारों को धारण कर इनके युवा रहे चिर ऊर्जावान
विश्व गुरु भारत के ऐसे थे पुत्र विवेकानंद महान ।
शैली भागवत ‘आस ‘
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