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एक और सितारा भूमण्डल से पहुंच गया सुर लोक में,
जिसके सप्तस्वरों  की ध्वनि अब  गूँजी  है परलोक में,
शत वार नमन करती हूँ मैं धरती की  स्वर साम्राज्ञी को,
हे लता तुम्हारी वो खुशबू महसूस करेंगे सब भूलोक में।
वो स्वरों की स्वर्णिम बगिया जिसने हर दिल को महकाया,
गीतों, गज़लों, और नज़्मों से संगीत का एक जहां बसाया,
नाजुक थी कली स्वरलोक की जो वो सुरलोक सिधार गई,
याद  रखेगा  राष्ट्र तुम्हे  जिसने अनमोल  रतन  को खोया।
@अक्षरा
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