किसी का घर ना उजड़े
ना किसी का परिवार बिखरे
नारी के हाथ में ही तो
स्वर्ग और नर्क का डोर है
घर के मंदिर को हर कोई
जन्नत नहीं बना सकता
सब कुछ धरती पर तो ही है
घर के मंदिर को स्वर्ग नरक
नारी ही तो  बना सकते हैं
हम स्वर्ग की चाह रखते हैं
अपने घर को स्वर्ग नहीं बनाते हैं
नारी नारी की दुश्मन बन बैठी है
अपने घर को ही तो नर्क
बना बैठी हैं मृत्यु प्राप्त कर स्वर्ग और नर्क की बातें करती है
अपने घर को स्वर्ग नहीं बनने
देती है और स्वर्ग की इच्छा प्राप्त करती हैरान हूं अपना घर ही तो स्वर्ग है बस नारी के हाथ में स्वर्ग और नर्क की डोर हैं……..
नाम- सपना कुमारी जिला-जहानाबाद
बिहार
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