आज संगीत बहुत खुश थी।आज उसका इकलौता भाई सेना की ट्रेनिंग पूरी करके लेफ्टिनेंट के पद पर आसीन होकर घर जो आ रहा था।तीन साल से बैंगलूरू मे रहकर ट्रेनिंग ले रहा था। इसलिए संगीत अपने भाई सुनील को राखी भी ना बांध सकी थी।भेज तो वो हर साल देती थी लेकिन तिलक लगाकर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने का अलग ही सुख होता है।आज राखी के मौके पर ही सुनील घर आ रहा था।तीन महीने बाद उसकी पोस्टिंग होनी थी।उससे पहले वह अपने घर वालों के साथ रहना चाहता था।
इतने मे डोर बैल बजी । संगीत ने भागकर दरवाजा खोला।सामने अपने भाई को खड़ा देखकर उसके बरबस ही आंसू निकल आये।वो दौड़ कर सुनील से चिपट गयी और बोली,”ओ भैया। तुम को कितने सालों बाद देखा है ।और वह रोये जा रही थी।सुनील भी अपनी छोटी बहन को बाहों मे भरकर फूटफूट कर रोने लगा।तभी पीछे से आते हुए पिताजी बोले,”क्यों भयी।बहन भाई यहीं सारी बातें कर लेंगे या घरके अंदर भी जाओगे।”संगीत आंसू पोछते हुए बोली ,”आओ भैया। यहां बैठो मै पहले अपने भाई को राखी बांधूंगी फिर कोई और काम होगा।”वह सुनील को हाथ पकड़ कर पूजा की थाली के पास ले गयी।सुनील ने भी बहन के आगे कलाई कर दी ।जब संगीत राखी बांधकर अपने भाई का मुंह मीठा करवा रही थी तब सुनील ने उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा,”पगली।देखना तुम्हारी शादी मे ऐसी रौनक होगी कि पूरे गांव मे धूम मच जाएगी।लोग कहेंगे देखो लेफ्टिनेंट सुनील की बहन की शादी हो रही है। क्यों पिताजी मै सही कह रहा हूं ना।”
उनके पिता एक तरफ बैठे भाई बहन के प्यार को नम आंखों से देख रहे थे।जब सुनील ने उन्हें पुकारा तो हड़बड़ा कर बोले,”हां हां क्यों नहीं अब तो तुम्हें ही देखना है सब कुछ मै तो बूढ़ा हो गया हूं।”इतना कहते ही दोनों बाप बेटा हंस पड़े और संगीत “क्या भैया” कह कर वहां से भाग गयी। बहुत प्यार करता था सुनील अपनी बहन से । मां तो बचपन मे ही गुज़ार गयी थी। दोनों बहन भाई ही एक दूसरे का सहारा बने थे। संगीत को याद है जब मां गुजरी थी तब  वह बारह तेरह साल की थी।उसे रोटी बनाना नही आता था तब उसके भाई ने ही उसे हाथ पकड़ कर रोटी बनाना सीखाया था। और आज संगीत की शादी की बात चल रही थी तो सुनील मन ही मन सोच रहा था कि मेरी गुड़िया कितनी बड़ी हो गयी है।उसकी आंखें भर आयी।
कहते है बेटियां तो दूसरे घर की अमानत होती है।सोई संगीत के लिए भी रिश्ता आया ।घरबार अच्छा था तो सगाई पक्की हो गयी।सुनील की खुशी का ठिकाना नही रहा वह सारे घर मे चहकता फिर रहा था,”पिता जी यहां पीले फूल लगेंगे , स्टेज लाल गुलाब के फूलों से सजेगी।और ना जाने क्या क्या।एक डायरी बना ली थी सुनील ने अपनी बहन की शादी मे क्या क्या करना है।अभी शादी को तीन महीने बचे थे। पर ग्रहों की चाल तो किसी ओर तरफ इशारा कर रही थी।
तभी हैड आफिस से फोन आ गया कि तुम्हारी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर मे हो गयी है।सुनील अपनी बहन और पिता से ये वादा करके कि शादी से पंद्रह दिन पहले आ जाऊंगा।वो ड्यूटी ज्वाइन करने चला गया।उसे फौज मे गये एक महीना ही हुआ था कि बाडर पर आतंकवादियों ने बहुत उपद्रव मचा रखा था। भारतीय थल सेना के जवान मोर्चे पर पहुंचे।उसमे एक सुनील भी था।मौके पर ही दो गोलियां लगने के बाद भी उसने कई आतंकवादियों को ढेर किया।घायल अवस्था मे सेना के अस्पताल लाया गया वह इलाज के दौरान वह वीरगति को प्राप्त हो गया।उसके आखिरी शब्द उसके दोस्त जो उसकी बटालियन मे थे उन्होंने यही सुने।”मेरी बहन मुझे माफ करना मै तुम्हारी शादी मे…..”
सुनील के घर फोन आया तो जैसे कोहराम मच गया। संगीत तो जैसे पत्थर की मूरत बन गयी थी। पिताजी का भी यही हाल था वे रस्म निभा तो रहे थे पर अपने होश मे नही थे।सारा गांव उमड़ पड़ा था सुनील के अंतिम यात्रा मे।सारी ओर से “भारत माता की जय”जयकारे लग रहे थे। सुनील का शरीर पंचतत्व मे विलीन हो गया था संगीत के आंसू थे वो थमने का नाम ही नही ले रहे थे वह तो बस बार बार यही कह रही थी”हाय तुम कह कर गये थे कि तेरी शादी धूमधाम से करूंगा कहां गया तुम्हारा वादा भैया।”
ब्याह की तारीख निकली हुई थी तो शादी तो निश्चित समय पर ही होनी थी पर मन मे चाह नही थी ।ना संगीत के और ना ही उसके पिताजी के । बड़े ही भारी मन से वो शादी के इंतजाम देख रहे थे।आज संगीत को मेहंदी लगनी थी । बड़े भारी मन से संगीत मेहंदी लगवाने बैठी।बार बार भाई को याद करके रोने लगती ।उसको मेहंदी लग ही रही थी कि तभी धड़ाधड़ करती सेना की पांच गाडियां आकर रुकी और उसमे से करीब सौ जवान बाहर निकले। संगीत के पिता जी हैरान हो गये कि अब तो बेटा भी वीरगति को प्राप्त हो गया फिर ये सेना के जवान यहां क्यों आये।
देखते ही देखते सभी जवानों ने शादी की सारी जिम्मेदारी अपने उपर ले ली।शादी की ऐसी तैयारियां की जैसी सुनील चाहता था।उसके पिता ने उन जवानों से पूछा ,”बेटा जी आप लोगों को ये कैसे पता कि मेरा सुनील भी यही चाहता था कि उसकी बहन की वरमाला की स्टेज लाल गुलाब के फूलों से सजे।”तो वे बोले,”अ़कल आप चिंता मत करे हमारे पास सुनील की लिखी डायरी है उसमे सब वो लिखा है जो वो अपनी बहन की शादी मे करना चाहता था।”पिता की आंखे भर आयी कि एक भाई ने मर कर भी अपनी बहन से वादा निभाया।वह स्वयं नही है उस शादी मे तो क्या अपने सौ प्रतिरूप भेज दिये है उसने।
संगीत की जब विदाई हो रही थी तो सभी जवानों ने नीचे फर्श पर क्रमबद्ध हथेलियां बिछा दी कि हमारी बहन हम सुनील की कमी तो पूरी नही कर सकते लेकिन आज तेरा एक भाई चला गया तो क्या तेरे सौ भाई तेरे साथ खड़े है।
संगीत उन हथेलियों पर पैर रखकर डोली तक जा रही थी और उपर आसमान की तरफ देखकर अपने भाई से सजल नेत्रों से विदा मांग रही थी। चारों तरफ सेना के बैंड की ध्वनि और भारत माता की जय के जयकारे लग रहे थे।
रचनाकार:- मोनिका गर्ग
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *