सोशल मीडिया से आज कौन अपरिचित होगा? आज सोशल मीडिया, संवाद का वह सशक्त माध्यम बन गया है, जिससे हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठे उन लोगों से संवाद एवं विचार-विमर्श कर सकते हैं, जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इसके जरिए हमें एक ऐसा साधन मिला है, जिससे हम न केवल अपने विचारों को दुनिया के समक्ष रख सकते हैं, बल्कि दूसरे के विचारों के साथ-साथ दुनियाभर की तमाम गतिविधियों से भी अवगत होते हैं। सोशल मीडिया सामान्य संपर्क या संवाद ही नहीं, बल्कि हमारे कैरियर को तराशने एवं नौकरी तलाशने या लेखन प्रसार में भी पूरी सहायता उपलब्ध कराता है।
एक वह भी जमाना था, जब हम कबूतरों के जरिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे, फिर कबूतरों का स्थान पत्रवाहकों ने ले लिया और क्रमशः डाकियों के जरिये पत्र भेजकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। पत्र को भेजने और उसका उत्तर प्राप्त करने में हमें महीनों लग जाते थे। लेकिन आज…, आज सूचना क्रांति ने हमें सात समुंदर पार बैठे लोगों से भी सीधे बात करने की सुविधा उपलब्ध करा दी है। हम अपने घर-परिवार, हित-मित्रों के हाल-चाल से उन्हें तत्काल अवगत करा सकते हैं। इसे यदि एक वाक्य में कहा जाए तो आज पूरी दुनिया ‘विश्वग्राम’ में परिवर्तित हो चुकी है और इसका पूरा श्रेय सूचना क्रांति को जाता है। इसी सूचना क्रांति से सोशल मीडिया का जन्म हुआ है।
पिछले दो दशकों में हम देखें तो इंटरनेट आधरित सोशल मीडिया ने हमारी जीवनशैली को बदलकर रख दिया है। हमारी जरूरतें, हमारी कार्य प्रणालियां, हमारी रुचियां-अभिरुचियां और यहां तक कि हमारे सामाजिक मेल-मिलाप, वैवाहिक संबंधों का सूत्रधार भी किसी हद तक सोशल मीडिया ही है। सोशल नेटवर्किंग या सामाजिक संबंधों के ताने-बाने को रचने में इसकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है, इसके जरिये हम घर बैठे दुनिया भर के अनजान और अपरिचित लोगो से सामाजिक, राजनीतिक एवं आंतरिक समंध बना रहे है।ऐसे लोगो से हमारी गहरी छन रही है,अंतरंग संवाद हो रहे है, जिनसे हमारी वस्त्वविक जीवम में कभी मिलाकात ही नही हुई है।इतना ही नही,हम इसके माध्यम से आपने स्कुल, कलेज के उन पुराने दोस्तों को भी खोज निकाला रहे है,जिनके साथ मे हम कभी पढ़े,लिखे,बड़े हुए और फिर वे धीरे धीरे कर्तब्य दायित्व के बोझ तले दुनिया की भीड़ में कही खो गए।
दरसल,इंटरनेट पर आधारित संबंध सूत्रों की यह अवधारण यानी सोसल मीडिया को संवाद मंच के तौर पर माना जा सकता है,जहां हम जैसे तमाम ऐसे लोग,जिन्होंने वास्तविक रूप से अभी एक दूसरे को देखा नही ,परन्तु एक दूसरे से बखूबी परिचित हो चले है,आपसी सुख,दुख पढ़ाई लिखाई,मौज,मस्ती,काम,धंधे की बातों के साथ,साथ सपनो की बाते भी हममे होती है,,।।
,,,,,,,,,स्वरचित,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,प्रितम वर्मा