एक दिन विनोद जब अपना फेसबुक अकाउंट चला रहा था तभी उसकी नज़र एक ऐसे फेसबुक ग्रुप पर पड़ी जो एक  ऐसे कोचिंग सेंटर का था जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाता था । विनोद भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था इसलिए उसने तुरंत ही वह ग्रुप ज्वाइन कर लिया। उस ग्रुप पर रोज प्रश्र पूछे जाते और सब मिलकर उत्तर देते । इस तरह विनोद के उस ग्रुप में रोज कोई ना कोई नए दोस्त बन रहे थे । पढाई के माध्यम से दोस्त बनें तो मोबाइल फोन नंबर भी एक-दूसरे को एक्सचेंज किए गए । इस तरह अब इनकी फोन पर भी बातचीत होने लगी । उन्हीं लड़कों में एक रतन नाम का भी लड़का था जो‌ विनोद को पढ़ाई और जाॅब के बारे में ऐसी – ऐसी जानकारी देता था जो विनोद को पहले से पता नहीं था । विनोद , रतन से कहता कि कुछ ही दिनों में वह उसका बेस्ट फ्रेंड बन गया है । एक दिन रतन ने विनोद से कहा कि वैसे तो मैं तुम्हारे शहर का नहीं हूॅं लेकिन तुमसे ऐसी दोस्ती हो गई है कि मैं अब से तुम्हारे शहर में ही रहना चाहता हूॅं । विनोद यह सुनकर खुश हुआ और कहा कि इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है ?? हम दोनों दोस्त एक शहर में रहेंगे तो ज्यादा अच्छी तरह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर पाएंगे । इस तरह रतन , विनोद के शहर में आ गया। विनोद ने उसे एक लाॅज में किराए पर कमरा दिला दिया । दोनों दोस्त अब रोज मिलते और साथ में बैठकर पढाई करते । 
विनोद जब एक दिन रतन के पास पहुॅंचा तो उसके पास एक आदमी बैठा हुआ था और रतन उससे बातें कर रहा था । विनोद को देखते ही उस आदमी ने कहा कि अब मैं चलता हूॅं । तुम सोच लो मैं दो दिन बाद फिर से आता हूॅं । रतन  से यह कहकर वह आदमी चला गया । विनोद ने रतन से पूछा कि यह आदमी कौन था ?? 
रतन ने पहले तो दरवाजा बंद किया और विनोद से कहा कि यह मेरे मामा जी है जो हम जैसे बेरोजगारों को रोजगार दिलाते है । 
मैं कुछ समझा नहीं विनोद ने रतन से कहा । 
रतन ने विनोद को बिस्तर पर बैठाते हुए कहा कि इनकी  जान – पहचान हर विभाग में है और हर विभाग में इनके  जैसे और भी है जो हम जैसे लड़कों से पैसा लेकर उन्हें सरकारी नौकरी दिलवाते है । 
तुमने पहले अपने मामा जी के बारे में बताया नहीं विनोद ने रतन से पूछा । 
अरे यार ! तुम्हें नौकरी से मतलब है या इन फालतू बातों से ।  रतन ने विनोद से हॅंसते हुए कहा । 
सरकारी नौकरी की बात सुनते ही रतन‌ ने कहा कि मैंने तो ऐसे ही पूछा था । 
रतन ने विनोद से कहा कि हम दोस्त है और तुम्हें अपने दोस्त पर पूरा विश्वास है ना ?? 
विनोद ने रतन के गले लगते हुए कहा कि मुझे तो‌ अपने दोस्त पर अपने से ज्यादा विश्वास है । 
रतन और विनोद ने साथ बैठ कर पढ़ाई  की । एक्जाम भी अच्छी गई थी । विनोद और रतन को अब रिजल्ट का इंतज़ार था क्योंकि विनोद ने रतन के मामा जी को दो लाख रुपए दिए थे और मामा जी ने कहा था कि वह निश्चिंत हो जाएं क्योंकि उसे तो नौकरी जरूर मिलेगी । 
इस बीच रतन भी अपने घर चला गया था । कुछ दिनों तक तो रतन और विनोद की फोन पर बातें होती रही लेकिन वह भी सिलसिला बंद हो गया । विनोद रोज यह सोच कर उठता कि‌ वह मेरिट लिस्ट में आ गया होगा और उसका ज्वाइनिंग लेटर आज आएगा कल आएगा । इसी तरह सोचते हुए छः महीने बीत गए लेकिन विनोद को ज्वाइनिंग  लेटर नहीं मिला ।
 छः महीने बाद विनोद ने जब रतन को फोन किया तो उसका फोन नाॅट रिचेवल आ रहा था । विनोद ने रतन को कितनी बार फोन किया लेकिन रतन का फोन ही नहीं लगा । विनोद, रतन के गाॅंव भी गया जिसका पता उसे रतन ने दिया था लेकिन वहाॅं रतन नाम का  लड़का तो था लेकिन वह रतन नहीं था और रतन द्वारा दिया गया पता भी फर्जी निकला । विनोद को अब सारी बातें समझ में आने लगी कि कैसे रतन नाम से उसे दोस्त बनाया गया और उससे सरकारी नौकरी के नाम पर दो लाख रुपए धोखे से ले  लिए गए । झूठे रतन और उसके झूठे मामा ने उसके साथ धोखाधड़ी की है । विनोद रोता हुआ अपने शहर आ गया क्योंकि उसके माॅं – बाप ने अपने गाॅंव की जमीन बेचकर दो लाख रुपए दिए थे । वह रोता हुआ पुलिस स्टेशन पहुॅंचा और उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया और  इधर झूठा रमन एक और लड़के को सोशल मीडिया के माध्यम से धोखा  देने की  फिर  से प्लानिंग कर रहा था ।
          
                                             धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
” गुॅंजन कमल ” 💓💞💗
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