गणतंत्र तो है पर स्वतंत्र नहीं
 क्या देश आज भी परतंत्र नहीं।।??
की उन्नति की तरक्की आगे आगे बढ़ता जाए 
इच्छा सब की  देश फिर से सोने की चिड़िया कहलाएं।
नई मंजिले नए हौसले नई राह संभाली है
नई दिशाएं नई हवाएं खुशहाली खुशहाली है।
पर हावी है आज भी हम पर बहुत सी अलग बेड़ियां
आज हवा में उड़ नहीं सकते हमारी नन्ही गुड़िया।
भ्रष्टाचार ,बेरोजगारी ,बाल श्रम मुस्कुराता है
आज भी देश मेरा राम राज्य कहां बन पाता है?
आओ मिलकर हाथ मिलाए कदम से कदम मिलाए
दलित ,शोषित और नारी को उसकी असली जगह दिखाएं।
तब मिलकर गणतंत्र मनाए सब मिलकर गणतंत्र मनाएं। सब मिलकर झूमे सब मिलकर गाएं
कोशिशहो फिर से यही देश सोने की चिड़िया कहलाएं।
स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा
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