सोच ही सोच में,
दिन तो गुजर जाता है,
लेकिन रात होती है पहाड़ सी।

और जागकर बिताता हूँ हर रात,
सोचता रहता हूँ कि क्या होगा ?
मेरे सपनों और लक्ष्य का।

और कब मिलेगी मुझको वह मंजिल ?
जिसके लिए छोड़ा है सारा जहां,
लेकिन छोड़ी नहीं उससे मोहब्बत।

सोचता रहता हूँ रातभर,
कब वह सुबह होगी ?
जब रोशन होगी मेरी शमां,
जब महक उठेगा मेरा चमन,
और गूजेंगे इस जहां में मेरे नगमें।

करता रहता हूँ इंतजार,
कब खत्म होगा यह पतझड़ ?
कब लौटेगा मेरा बसन्त ?

इसी सोच और इंतजार में,
बीतती है मेरी हर रात,
कि कब मुझको सफलता मिलेगी जीवन में ?

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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Gurudeen Verma

By Gurudeen Verma

एक शिक्षक एवं साहित्यकार(तहसील एवं जिला- बारां, राजस्थान) पोस्टेड स्कूल- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नांदिया, तहसील- पिण्डवाड़ा, जिला- सिरोही(राजस्थान) 2900 से ज्यादा रचनायें

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