वीर सैनिक थे बड़े
मातृभूमि पर चढ़े,
घर में सभी के ऐसा
लाल होना चाहिये।
पीठ पीछे वार करें
धोखा देकर जो लड़े
प्रतिकार का अब तो
नाद होना चाहिये।
ये मेरा है अंतर्नाद
कैसा है यह जेहाद
गीदड़ नही इंसा को
फौलाद होना चाहिये।
धरा करे हाहाकार
नभ रोए जार जार,
वंदे मातरम का अब
निनाद होना चाहिये।
-कीर्ती प्रदीप वर्मा